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    'आप' का क्या होगा? इनसे मिलिए जिनकी वजह से जा रही है 20 AAP विधायकों की सदस्यता

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sat, 20 Jan 2018 01:24 PM (IST)

    आइए जानते हैं आखिर पूरे मामले की बुनियाद कैसे पड़ी।

    'आप' का क्या होगा? इनसे मिलिए जिनकी वजह से जा रही है 20 AAP विधायकों की सदस्यता

    नई दिल्ली (जेपी यादव)। लाभ के पद मामले में फंसे आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित करने की सिफारिश राष्ट्रपति महोदय से की है। अब सबकी नजरें राष्ट्रपति पर हैं, जो इस मामले पर अंतिम मुहर लगाएंगे। अगर राष्ट्रपति AAP के विधायकों के विरुद्ध फैसला देते हैं, तो केजरीवाल के विधायकों की संख्या 66 से 46 रह जाएगी।

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    आइए जानते हैं आखिर पूरे मामले की बुनियाद कैसे पड़ी। आम आदमी पार्टी को 20 विधायकों को इस हालत में लाने वाले शख्स का नाम प्रशांत पटेल। इनकी वजह से ही आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता पर पिछले तकरीबन दो साल से खतरा मंडरा रहा था। 

    दरअसल, एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) की तरफ से हाईकोर्ट में इस नियुक्ति को चुनौती दी गई, जिसमें कहा गया था कि संसदीय सचिव के पद पर आप के 21 विधायकों की नियुक्ति असंवैधानिक है।

    इसके बाद वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास एक याचिका लगाई थी। इन्हीं प्रशांत पटेल की याचिका पर केजरीवाल को झटका लगा था। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ फैसला दिया था।

    यह भी पढ़ेंः अरविंद केजरीवाल को अब तक का सबसे बड़ा झटका, 20 AAP विधायक अयोग्य

    प्रशांत पटेल की यह थी दलील

    1. राष्ट्रपति को दी गई याचिका में कहा गया था कि संसदीय सचिव सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मंत्री के ऑफिस में जगह दी गई है। इस तरह से वे लाभ के पद पर हैं।

    2. संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ऐक्ट 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लाभ के पद पर है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है।

    3. संसदीय सचिव शब्द दिल्ली विधानसभा की नियमावली में है ही नहीं। वहां केवल मंत्री शब्द का जिक्र किया गया है।

    4.दिल्ली विधानसभा ने संसदीय सचिव को लाभ के पद से बाहर नहीं रखा है।

    यहां पर याद दिला दें कि दिल्ली सरकार ने 2015 में अलग-अलग विभागों में काम काज का जायजा लेने के लिए संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी। हलांकि ये नियुक्ति शुरुआत से ही विवादों में रही। ऐसा नहीं है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ही ऐसे संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी।

    इससे पहले भाजपा के शासनकाल में एक जबकि शीला दीक्षित के शासनकाल में पहले एक और फिर बाद में तीन संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी। लेकिन AAP सरकार इनसब से काफी आगे निकल गई और संसदीय सचिवों की गिनती सीधे 21 पर पहुंच गई। हालांकि, पिछले साल राजौरी गार्डन में AAP के उम्मीदवार की हार के साथ संसदीय सचिव बने विधायकों की संख्या 20 रह गई थी।

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