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    जानें क्या है Office Of Profit, सोनिया-जया बच्चन तक भुगत चुकी हैं खामियाजा

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sat, 20 Jan 2018 08:57 AM (IST)

    संविधान की गरिमा के तहत ‘लाभ के पद’ पर बैठा कोई व्यक्ति उसी वक्त विधायिका का हिस्सा नहीं हो सकता।

    जानें क्या है Office Of Profit, सोनिया-जया बच्चन तक भुगत चुकी हैं खामियाजा

    नई दिल्ली (जेएनएन)। एतिहासिक जीत कर दिल्ली में सत्ता पाने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। लाभ के पद का मामले में चुनाव आयोग ने AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद किए जाने की सिफारिश करने का फैसला लिया है। हालांकि इस पर अभी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर लगनी है। यहां पर बता दें कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों के सचिवों का विवाद नया नहीं है। लाभ के पद को लेकर जब-तब विवाद उठता रहा है। इसकी वजह से कई बार जनप्रतिनिधियों को सदन की सदस्यता से हाथ भी धोना पड़ा है। खासकर 2006 में सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष के तौर पर लाभ का पद स्वीकार करने का आरोप लगने पर लोकसभा की सदस्यता से देना पड़ा था। 

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    वहीं, वर्ष 2006 में बॉलीवुड की नामी अभिनेत्री और मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन की पत्नी को भी लाभ के पद के मामले में राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा था। बता दें कि राज्यसभा सांसद होने के साथ-साथ यूपी फिल्म विकास निगम की चेयरमैन भी थीं।

    यह भी पढ़ेंः जानें कौन हैं प्रशांत पटेल, जिनकी वजह से जा रही है 20 AAP विधायकों की सदस्यता

    इसे 'लाभ का पद' मानते हुए चुनाव आयोग ने जया बच्चन को अयोग्य ठहरा दिया था। हालांकि, जया बच्चन ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी थी, राहत नहीं मिली थी।

    उस समय सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर किसी सांसद या विधायक ने 'लाभ का पद' लिया है तो उसकी सदस्यता जाएगी चाहे उसने वेतन या दूसरे भत्ते लिए हों या नहीं।

    दिल्ली के अलावा, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नगालैंड और पंजाब में संसदीय सचिव को लेकर विवाद है या फिर चल रहा है। 

    सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कही थी ये बात

    उधर, 2006 में जया बच्चन के मामले में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला कहता है कि अगर किसी सांसद या विधायक ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद लिया है तो उसे सदस्यता गंवानी होगी चाहे वेतन या भत्ता लिया हो या नहीं। 

    संसदीय सचिव पर पहले भी रहा विवाद

    1. शीला सरकार तक 3 से ज़्यादा संसदीय सचिव नहीं रहे
    2. साहेब सिंह वर्मा ने नंद किशोर गर्ग को संसदीय सचिव बनाया
    3. अयोग्य करार दिए जाने की आशंका से गर्ग ने इस्तीफ़ा दिया
    4. 1998-2003 के दौरान शीला सरकार में एक संसदीय सचिव
    5. 2003-2008 और 2008-2013 में सिर्फ़ 3 संसदीय सचिव

    अब तक किन पर गिर चुकी है गाज

    सोनिया गांधी ने 2006 में विवाद के बाद अपने कई पदों से इस्तीफ़ा दिया
    जया बच्चन की राज्यसभा सदस्यता रद की गई थी
    यूपी के दो विधायकों की सदस्यता गई
    2015 में बजरंग बहादुर सिंह, उमाशंकर सिंह की सदस्यता रद

    पहले भी संसदीय सचिव पर विवाद
    पश्चिम बंगाल (टीएमसी सरकार)
    दिसंबर 2012 : संसदीय सचिव बिल पास
    जनवरी 2013 : 13 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया
    जनवरी 2014 : 13 और विधायक संसदीय सचिव नियुक्त

    संसदीय सचिवों को मंत्री का दर्जा प्राप्त
    जून 2015: हाईकोर्ट ने बिल को असंवैधानिक बताया
    धारा 164 (1A) के तहत असंवैधानिक ठहराया
    धारा 164-(1A): कुल विधायकों के 15% से ज़्यादा मंत्री नहीं हो सकते

    ऑफिस ऑफ प्रॉफिट क्या होता है ?
    1- कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 102 (1) (ए) के तहत सांसद या विधायक ऐसे किसी और पद पर नहीं हो सकता, जहां अलग से सैलरी, अलाउंस या बाकी फायदे मिलते हों।
    2- इसके अलावा आर्टिकल 191 (1)(ए) और पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव एक्ट के सेक्शन 9 (ए) के तहत भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में सांसदों-विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रोविजन है।
    3- संविधान की गरिमा के तहत ‘लाभ के पद’ पर बैठा कोई व्यक्ति उसी वक्त विधायिका का हिस्सा नहीं हो सकता।

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