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जम्मू-कश्मीर में अगले पांच वर्षों में खत्म कर देंगे बेरोजगारीः मनोज सिन्हा

Manoj Sinha उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि सरकारी स्तर पर भी बेरोजगारी की इस गंभीर समस्या को सुलझाने के लिए एक रणनीति बनाई गई है जिसकी मदद से अगले पांच वर्षो के दौरान जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की समस्या पर पूरी तरह से काबू पाया जाएगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 09:43 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 09:43 PM (IST)
मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अगले पांच वर्षों में खत्म कर देंगे बेरोजगारी।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। Manoj Sinha: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि अगले पांच वर्षों के भीतर जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की समस्या पूरी तरह दूर कर दी जाएगी। उपराज्यपाल ने यह विश्वास शनिवार को श्रीनगर पहुंचे देश के दिग्गज उद्योगपतियों के साथ बेरोजगारी के मुद्दे चर्चा के बाद दिलाया। वहीं, उद्योगपतियों ने भी बेरोजगारी पर काबू पाने के लिए अपना पूरा सहयोग देने का विश्वास दिलाया है। उपराज्यपाल ने कहा कि सरकारी स्तर पर भी बेरोजगारी की इस गंभीर समस्या को सुलझाने के लिए एक रणनीति बनाई गई है, जिसकी मदद से अगले पांच वर्षो के दौरान जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की समस्या पर पूरी तरह से काबू पाया जाएगा। सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में मजबूत ढांचा खड़ा करने और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर जुटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर के निवेशकों और प्रोद्यौगिक विशेषज्ञों से सहयोग भी मांगा।

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श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेंटर (एसकेआइसीसी) में रविवार को एक दिवसीय यूथ एंगेजमेंट एंड आउटरीच पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि इसका उद्देश्य हमारे युवाओं को सशक्त बनाना है। युवाओं के विकास के लिए एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने इसके लिए 200 करोड़ रुपये के फंड की घोषणा करते हुए कहा कि इस राशि को जिलों में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

पर्यटन की अपार संभावनाएं 

सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की 65 फीसद से ज्यादा जनसंख्या की आयु 35 साल से कम है। युवाओं का चहुंमुखी विकास जरूरी है। खेल कूद, शिक्षा, काउंस¨लग आदि कार्यक्रमों से युवाओं को फायदा पहुंचाया जाएगा और उनके भविष्य को संवारा जाएगा। जम्मू-कश्मीर में पर्यटन की संभावनाएं भी अपार हैं। माता वैष्णो देवी, श्री बाबा अमरनाथ यात्रा, गुलमर्ग, पत्नीटाप, कई पर्यटक स्थल हैं।

युवाओं के लिए विशेषज्ञों की भी जरूरत

जम्मू-कश्मीर में सेब, अखरोट, केसर की खेती हो रही है। सात लाख से अधिक मध्यम एवं लघु उद्योग हैं। भारत की 10.25 फीसद पन बिजली का उत्पादन होता है। पिछले पांच साल के दौरान हथकरघा और हस्तकला का वस्तुओं का निर्यात पांच हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने उद्योगपतियों से कहा कि हम सिर्फ निवेश ही नहीं चाहते बल्कि हमें युवाओं के लिए विशेषज्ञों की भी जरूरत है।

सरकार ने 24 हजार कनाल भूमि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को सौंपी

केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में नए भूमि कानून लागू करने के तीन दिन बाद ही प्रदेश प्रशासन ने दूसरे राज्यों के उद्योगपतियों के लिए यहां आने के रास्ते खोल दिए हैं। सरकार ने उद्योग और वाणिज्य विभाग को 24 हजार कनाल जमीन स्थानांतिरत कर दी है, ताकि उद्योगपति यहां आकर इस क्षेत्र में निवेश कर सकें। यही नहीं, इतनी और जमीन वन विभाग से मंजूरी मिलने के बाद अलग से अधिसूचित करने की भी तैयारी है। कुल 48 हजार कनाल भूमि पर उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

साल के अंत तक आ जाएगी नई औद्योगिक नीति

जम्मू-कश्मीर में इस समय नई औद्योगिक नीति भी बन रही है और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक इसे भी अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस औद्योगिक नीति का मुख्य मकसद व्यापार को सुगम बनाना है, ताकि दूसरे प्रदेशों के उद्योगपति अधिक से अधिक यहां निवेश कर सकें।


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