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    'हिंदी विरोध' ने ठाकरे ब्रदर्स को किया एकजुट! राज-उद्धव ठाकरे एक साथ करेंगे प्रदर्शन; महाराष्ट्र में बढ़ी सियासी हलचल

    महाराष्ट्र में राजनीतिक रूप से हाशिए पर चल रहे उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अब 'हिंदी विरोध' के बहाने एकजुट हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के निर्देश के खिलाफ वे 5 जुलाई को मोर्चा निकालने की तैयारी में हैं। 

    By OM PRAKASH TIWARIEdited By: Abhinav Tripathi Updated: Fri, 27 Jun 2025 06:50 PM (IST)
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    ओमप्रकाश तिवारी, जागरण, मुंबई। महाराष्ट्र में इन दिनों राजनीतिक हाशिए पर दिखाई दे रहे उद्धव और राज ठाकरे अब ‘हिंदी विरोध’ के बहाने मिलकर राजनीतिक रोटियां सेंकने की तैयारी कर रहे हैं।

    पिछले विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे का सफाया हो चुका है, तो ढाई साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) को सिर्फ 20 सीटें हासिल हुई हैं। इस प्रकार दोनों चचेरे भाई इन दिनों राजनीति के हाशिए पर पहुंच चुके हैं। दोनों को ‘ठाकरे ब्रांड’ की चिंता भी सताने लगी है।

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    पवार ब्रांड को खत्म करने की हो रही कोशिश: राज ठाकरे

    कुछ दिनों पहले राज ठाकरे ने एक बयान दिया था कि महाराष्ट्र से ठाकरे और पवार ब्रांड को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। ‘ठाकरे ब्रांड’ को बचाए रखने का अंतिम अवसर उन्हें जल्दी ही होने जा रहे स्थानीय निकाय चुनावों में दिखाई दे रहा है। लेकिन दोनों भाइयों को लग रहा है कि यदि इन चुनावों में दोनों बंधु अलग-अलग लड़े, तो उनकी आपस की लड़ाई में एक बार भी भाजपा और शिवसेना (शिंदे) जैसे सत्तारूढ़ दल बाजी मार ले जाएंगे। इसलिए पिछले दो महीने से दोनों भाई साथ आने का अवसर तलाश कर रहे हैं।

    जानिए क्या है भाषा विवाद?

    उन्हें यह अवसर ‘हिंदी विरोध’ के बहाने मिलता दिखाई दे रहा है। कुछ माह पहले राज्य सरकार ने कक्षा एक से पांच तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी की शिक्षा अनिवार्य करने का निर्देश जारी किया था। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) ने तभी से इस आदेश का विरोध शुरू कर दिया था। हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि हिंदी पढ़ाया जाना अनिवार्य नहीं होगा।

    हिंदी के विरोध में मोर्चा निकालने की घोषणा

    हिंदी त्रिभाषा फार्मूले के तहत एक विषय भर होगी, जिसे सीखना बच्चों की इच्छा पर निर्भर होगा। एक दिन पहले ही शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने स्वयं राज ठाकरे से मिलकर उन्हें बताया है कि कक्षा एक और दो में हिंदी को सिर्फ मौखिक रूप से पढ़ाया जाएगा, कक्षा तीन से ही इसका लिखित अभ्यास शुरू होगा। इसके बावजूद राज ठाकरे ने हिंदी के विरोध में पांच जुलाई को मुंबई की गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक मोर्चा निकालने की घोषणा कर दी है।

    उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राउत के अनुसार उनकी पार्टी ने पहले सात जुलाई को विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी। लेकिन राज ठाकरे के आग्रह पर अब उद्धव ठाकरे ने पांच जुलाई को राज के ही मोर्चे में शामिल होने का निर्णय किया है।

    ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने के संकेत

    उद्धव ठाकरे के इस निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि हिंदी विरोध के बहाने उन्हें अपने चचेरे भाई के साथ मिलकर राजनीतिक कदम बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर मिल गया है। वह ‘हिंदी विरोध’ के बहाने राज ठाकरे के साथ चार कदम चलकर मराठीभाषी लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि देखो हम दोनों भाई एक साथ आ गए हैं। यह मोर्चा उन मराठीभाषियों का मूड भांपने का एक जरिया भी बनेगा, जो 2006 में राज ठाकरे द्वारा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन करने के बाद से ही मांग करते आ रहे हैं कि दोनों ठाकरे बंधुओं को एक साथ आकर राजनीति करनी चाहिए।

    यही कारण है कि करीब दो माह पहले जब फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर को एक साक्षात्कार देते हुए राज ठाकरे ने कहा कि, “हमारे विवाद, हमारे झगड़े छोटे हैं। महाराष्ट्र उससे बहुत बड़ा है। महाराष्ट्र के हित में हम किसी के भी साथ आ सकते हैं”, तभी से उद्धव गुट उनके साथ जुड़ने का प्रयास कर रहा है। अब हिंदी विरोध के बहाने उन्हें यह अवसर हाथ लग गया है, तो वह इससे चूकना नहीं चाहते।

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