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    Maharashtra: गहरे अर्थ रखता है राज ठाकरे का PM नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करना, शिवाजी पार्क में रचा इतिहास

    Updated: Sun, 19 May 2024 04:00 PM (IST)

    ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में राज ठाकरे-नरेंद्र मोदी की ‘बॉन्डिंग’ महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों के कुछ माह बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव का बिगुल भी बजने वाला है। राज ठाकरे एक करिश्माई नेता एवं उत्कृष्ट वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। वह दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे के भतीजे और अब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं।

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    गहरे अर्थ रखता है राज ठाकरे का नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करना (Image: X/@narendramodi)

    ओमप्रकाश तिवारी , मुंबई। 17 मई (शुक्रवार) को ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करना और उनसे ठीक पहले सभा को संबोधित करना महाराष्ट्र की राजनीति में गहरे अर्थ रखता है।

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    ऐतिहासिक शिवाजी पार्क

    ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में राज ठाकरे-नरेंद्र मोदी की ‘बॉन्डिंग’ महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों के कुछ माह बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव का बिगुल भी बजने वाला है। राज ठाकरे एक करिश्माई नेता एवं उत्कृष्ट वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। वह दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे के भतीजे और अब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं।

    क्यों महत्वपूर्ण है मंच साझा करना

    शिवसेना और राकांपा में विभाजन के बाद राज का भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति (राजग) में औपचारिक प्रवेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने मोदी और उनके सहयोगी तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर जमकर निशाना साधा था। तब खुद चुनाव मैदान से बाहर रहते हुए भी उन्होंने राज्य भर में करीब एक दर्जन बड़ी-बड़ी रैलियां सिर्फ भाजपा की कमियां गिनाने के लिए की थीं। इस बार भाजपा राज ठाकरे की ओर से ऐसा कोई भी कृत्य टालना चाहती थी।

    शिवाजी पार्क में ठाकरे की रैली

    शुक्रवार शाम मुंबई में सत्तारूढ़ महायुति एवं आइएनडीआइए गठबंधन का शक्ति प्रदर्शन साथ-साथ हुआ। महायुति दादर स्थित शिवाजी पार्क में अपनी रैली कर रही थी, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाला आइएनडीआइए गठबंधन बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स में अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा था। इस शक्ति प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल, महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी (शपा) सुप्रीमो शरद पवार शामिल थे।

    पीएम मोदी से पहले बोलने का मिला अवसर

    ऐसे समय दादर स्थित शिवाजी पार्क में शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे के स्मृतिस्थल (जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ था) से चंद कदमों की दूरी पर बने भाजपानीत महायुति के मंच पर राज ठाकरे को प्रधानमंत्री से ठीक पहले बोलने का अवसर दिया गया। यानी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी राज ठाकरे से पहले बोल चुके थे। शिवसेना-भाजपा के गठबंधन में यह सम्मान बालासाहब ठाकरे को मिला करता था। तब भाजपा के वरिष्ठ नेता अटलबिहारी वाजपेयी से ठीक पहले बालासाहब ठाकरे बोलने खड़े होते थे।

    अनुच्छेद 370 समेत इन मुद्दों पर चर्चा

    यह सांकेतिक सम्मान पानेवाले राज ठाकरे ने भी अपना संबोधन शुरू करते हुए कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद तीसरी बार लगातार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। अपने भाषण में राज ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने, और राममंदिर स्वप्न साकार करने के लिए मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मैं इन्हें साहसी निर्णय मानता हूं।

    राज ठाकरे ने अपने संक्षिप्त भाषण में महाराष्ट्र एवं मराठी अस्मिता से जुड़े कुछ मुद्दों पर सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री को ध्यान देने की मांग भी रखी। इनमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की समिति के माध्यम से शिवाजी महाराज के किलों के संरक्षण की मांग के अलावा, देश भर की पाठ्य पुस्तकों में मराठा साम्राज्य का इतिहास पढ़ाने जैसे मुद्दे शामिल थे।

    17 मई की मेगा रैली

    जाहिर है, ये सभी मुद्दे मुंबई और महाराष्ट्र के उस मतदाता वर्ग को लुभाते हैं, जिनसे उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी टूटने के बाद सहानुभूति पाने की उम्मीद रख रहे हैं। वास्तव में, शिवाजी पार्क में 17 मई की मेगा रैली की अनुमति राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने ही मुंबई महानगरपालिका से प्राप्त की थी। यानी राज ठाकरे खुद इस रैली के मेजबान की भूमिका में थे। 2005-06 में चचेरे भाई उद्धव से मतभेद के बाद राज ने अपने चाचा से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था।

    अगस्त 2011 में उन्होंने गुजरात का नौ दिवसीय दौरा किया और विकास के मॉडल के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी की प्रशंसा की थी। लेकिन 2014 के बाद वह मोदी के सबसे मुखर आलोचकों में से एक बनकर उभरे। लेकिन अपनी पार्टी के गठन के बाद 17 मई, 2024 को वह पहली बार यदि किसी अन्य दल या गठबंधन के मंच पर आए, तो वह भाजपानीत राजग (महाराष्ट्र में महायुति) का मंच था।

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