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यूपी में सिंचाई विभाग की जमीन कब्जामुक्त कराने को चलेगा अभियान, लखनऊ से होगी शुरुआत

जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध कब्जे को हटाने को लेकर विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 08:23 AM (IST)
यूपी में सिंचाई विभाग की जमीन कब्जामुक्त कराने को चलेगा अभियान, लखनऊ से होगी शुरुआत
यूपी में सिंचाई विभाग की जमीन कब्जामुक्त कराने को चलेगा अभियान, लखनऊ से होगी शुरुआत

लखनऊ, जेएनएन। सिंचाई विभाग की जमीन और संपत्ति को कब्जामुक्त करने के लिए अब उत्तर प्रदेश भर में अभियान चलाया जाएगा। 15 मार्च को इसकी शुरुआत लखनऊ से हो रही है। इस विशेष अभियान के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है। अब सिंचाई विभाग की जमीनों को मुक्त कराने के लिए जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने 15 मार्च से लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

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सिंचाई विभाग की संपत्ति पर अवैध कब्जे की समीक्षा सोमवार को जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने योजना भवन में की। इसमें अधिकारियों ने तथ्य रखा कि प्रदेश में कुल 1772 संपत्तियों पर अवैध कब्जे चिह्नित किए गए हैं। जलशक्ति मंत्री ने बताया कि अवैध कब्जेदारों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। उन सभी के नाम सिंचाई विभाग की वेबसाइट पर डाल दिए जाएंगे। उनके नाम मीडिया के जरिए उजागर किए जाएंगे, ताकि सामाजिक दबाव में खुद ही कब्जे हटा लें। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो फिर दंडात्मक कार्रवाई होगी। इसके लिए जिलाधिकारी लखनऊ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यहां तहसील सदर, सरोजनी नगर और मोहनलालगंज में सर्वाधिक कब्जे हैं। इन जमीनों पर पक्के मकान तक बना लिए गए हैं।

डॉ. सिंह ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में इसी तरह अभियान चलाया जाएगा। प्रमुख सचिव टी. वेंकटेश ने आश्वस्त किया कि विभाग की 400 करोड़ रुपये की संपत्ति को संरक्षित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सिंचाई विभाग को स्थायी रूप से पुलिस दे दी जाएगी। मंडलायुक्त लखनऊ मुकेश मेश्राम ने जमीनों को कब्जे से बचाने के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन रणनीति बनाने का सुझाव दिया।

लखनऊ में सिंचाई विभाग की 44 संपत्तियों पर अवैध कब्जे

सरकारी विभागों की मिलीभगत और अफसरों की अनदेखी के चलते राजधानी में सिंचाई विभाग की जमीनों पर 44 स्थानों पर अवैध कब्जे हैं। सरकारी जमीनों पर इमारते खड़ीं हैं और नदी-नहरों को भी अतिक्रमण ने चपेट में ले लिया है। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में सिंचाई विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जों की भरमार है। पूरे प्रदेश में डेढ़ हजार से अधिक जगहों पर अवैध कब्जे चिन्हित किए गए हैं। अवैध कब्जों की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सोमवार को जलशक्ति मंत्री डॉ.महेंद्र सिंह ने योजना भवन में समीक्षा बैठक में प्रदेशव्यापी अभियान चलाने के निर्देश दिए जिसकी शुरुआत राजधानी से होगी।

वैध कब्जेदारों के नाम वेबसाइट पर डालेंगे

मंत्री ने कहा कि अवैध कब्जेदारों के नाम वेबसाइट पर डालकर सोशल मीडिया पर भी प्रचारित करें। 10 मार्च तक अगर लोग खुद कब्जे न हटाएं तो फिर सख्त कार्रवाई करें। अभियान के लिए डीएम लखनऊ अभिषेक प्रकाश की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बनाई गई है। पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सिंचाई विभाग को स्थायी रूप से पुलिस दी जाएगी। मंडलायुक्त मुकेश मेश्रम ने कहा कि कब्जेदारों के खिलाफ भूमाफिया के तहत कार्रवाई होगी। लखनऊ में भी सरोजनीनगर, सदर और मोहनलालगंज तहसीलों में कब्जे हैं। गोमती किनारे कई जगहों पर अतिक्रमण है। कुछ जगहों पर रियल स्टेट कालोनियां और पार्क विकसित किए जा रहे हैं। एक चर्चित व्यवसायी ने सिंचाई विभाग की जमीन पर अपना अपार्टमेंट ही खड़ा कर दिया है जो फिलहाल सील है।

प्रदेश में अवैध कब्जे के डेढ़ हजार से अधिक मामले

प्रदेश में सिंचाई विभाग की कुल 1772 संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं जिनको कब्जामुक्त करने के लिए प्रदेश भर में टीमें गठित करने के निर्देश दिए गए। प्रमुख सचिव टी. वेंकटेश ने आश्वस्त किया कि विभाग की 400 करोड़ रुपये की संपत्ति को संरक्षित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

सूचीबद्ध किए जा रहे अवैध कब्जेदार

जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा कि अवैध कब्जेदार सूचीबद्ध किए जा रहे हैं। सभी के नाम सिंचाई विभाग की वेबसाइट पर डाले जाएंगे और मीडिया के जरिए उजागर किए जाएंगे, ताकि सामाजिक दबाव में खुद ही कब्जे हटा लें। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो फिर दंडात्मक कार्रवाई होगी। 


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