Move to Jagran APP

CID पर पहले की सरकारों में भी रही है तनातनी, देवीलाल के समय गृह विभाग से हो गया था अलग

हरियाणा सरकार में विवाद का कारण बने सीआइडी विभाग पर पहले भी तनातनी रही है। देवीलाल की सरकार के दौरान सीआइडी को गृह विभाग से अलग कर नया विभाग बना दिया गया था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 04:25 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 04:25 PM (IST)
CID पर पहले की सरकारों में भी रही है तनातनी, देवीलाल के समय गृह विभाग से हो गया था अलग
CID पर पहले की सरकारों में भी रही है तनातनी, देवीलाल के समय गृह विभाग से हो गया था अलग

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में सीआइडी को लेकर चल रहा विवाद नया नहीं है। हर सरकार में सीआइडी विवाद का कारण रही है। मौजूदा भाजपा सरकार में सीआइडी गृह विभाग का पार्ट है या नहीं, इसे लेकर विवाद की स्थिति है, लेकिन पिछली सरकारों के कार्यकाल पर यदि निगाह दौड़ाई जाए तो सीआइडी को 1977 में ही देवीलाल के समय से अलग डिपार्टमेंट मानते हुए इसका अलाटमेंट किया जाता रहा है।

loksabha election banner

भाजपा सरकार में तकनीकी तौर पर विज ठीक मगर संवैधानिक तौर पर सरकार सही

सीआइडी को अक्सर मुख्यमंत्री अपने पास रखते हैैं, लेकिन इस बार सीएम के विभागों में सीआइडी को समय से अधिसूचित नहीं किया जा सका, जिस कारण विवाद की स्थिति बनी और गृह मंत्री अनिल विज अभी भी सीआइडी को गृह विभाग का पार्ट मानते हुए इस पर अपना हक जता रहे हैैं। तकनीकी तौर पर विज सही हो सकते हैैं, लेकिन संवैधानिक तौर पर यह डिपार्टमेंट गृह विभाग से अलग है और अब इसे मुख्यमंत्री के खाते में माना जा सकता है।

ओमप्रकाश चौटाला सरकार में संपत सिंह के गृह मंत्री बनने के बाद भी हुआ था विवाद

हरियाणा की पूर्व देवीलाल सरकार के कार्यकाल के दौरान ही सीआइडी को गृह विभाग से अलग कर दिया गया था। इसके बाद कई सरकारों में यह विवाद हुए, लेकिन हर बार पलड़ा सीएम का भारी रहा। सीआइडी को लेकर विवाद चौटाला सरकार में भी हुआ था। चौटाला ने अपने सबसे करीबी प्रो. संपत सिंह को गृह मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया था। कुछ समय सीआइडी संपत सिंह के पास रही, लेकिन बाद में इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पास रख लिया था।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गोपाल कांडा को मंत्री तो बनाया पर नहीं दी थी सीआइडी

उसी समय चौटाला ने अपने पिता देवीलाल के फैसले को मजबूती प्रदान करते हुए कैबिनेट की बैठक बुलाकर सीआइडी के लिए अलग से बजट का भी प्रावधान कर दिया था। चौटाला के बाद सत्ता में आए हुड्डा ने गृह विभाग अपने पास रखा। इसके बाद दूसरी बार सत्ता में आए हुड्डा ने निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा को गृहराज्य मंत्री का दर्जा दिया लेकिन सीआइडी अपने पास ही रखी।

हुड्डा ने सीआइडी को अधिक मजबूत करते हुए बजट के मामले में सीआइडी चीफ को कई अधिकार तक दे दिए थे। हुड्डा के बाद मनोहर सत्ता में आए और उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान गृह विभाग तथा सीआइडी अपने पास ही रखी।

अब दूसरे कार्यकाल के दौरान अनिल विज को गृहमंत्री बनाए जाने के बाद फिर से यह विवाद चल पड़ा। हरियाणा सरकार ने आधिकारिक वेबसाइट पर सीआइडी विभाग सीएम को आवंटित दिखाकर विवाद को खत्म करने का प्रयास किया है। यह अलग बात है कि अब इसे गृह मंत्री विज हवा देने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैैं।

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


यह भी पढ़ें: हरियाणा के CM और गृह मंत्री में फिर तनातनी, फिर गरम हुए विज ने विभाग छीनने को दी चुनौती



यह भी पढ़ें: Delhi assembly Election में दुष्‍यंत चौटाला भी ठोकेंगे ताल, जानें किन 12 सीटों पर है फोकस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.