छत्तीसगढ़: मुख्य सचिव की तलाश रुकी, मुद्दों की सूची तैयार; मानसून सत्र में भिड़ेंगे BJP-कांग्रेस दिग्गज!
Chhattisgarh Politics छत्तीसगढ़ में नए मुख्य सचिव की तलाश तीन महीने के लिए टाल दी गई है क्योंकि सत्ता पक्ष मानसून सत्र की तैयारी में जुट गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के राष्ट्रीय नेता (जेपी नड्डा अमित शाह मल्लिकार्जुन खरगे केसी वेणुगोपाल) राज्य का दौरा करेंगे जिससे राजनीतिक गरमागरमी तय है।
सतीश चंद्र श्रीवास्तव, रायपुर। प्रदेश के नए मुख्य सचिव की तलाश की प्रक्रिया को अगले तीन महीनों के लिए टालते हुए सत्ता पक्ष मानसून सत्र की तैयारी में जुट गया है। तय है कि आनेवाला सप्ताह राजनीतिक गरमागरमी का रहेगा। मानसून के साथ बयानों की भी झमाझम बारिश तय है।
एक तरफ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहुंच रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल होंगे। भाजपा अपने सांसदों और विधायकों को मुद्दे उठाने और उत्तर देने का प्रशिक्षण देगी तो कांग्रेस किसान, जवान और संविधान के मुद्दे के साथ मैदान में होगी।
प्रदेश के 25 वर्ष के इतिहास में पहली बार हुआ है कि मुख्य सचिव का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया हो। 30 जून को अमिताभ जैन विदाई से पूर्व राज्यपाल से औपचारिक मुलाकात भी कर चुके थे।
आईएएस अधिकारी सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के साथ ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे अमित अग्रवाल में से किसी एक को चुना जाना था। नए मुख्य सचिव के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में अंतिम निर्णय लिए जाने से पहले केंद्र से संदेश आ गया और अचानक समीकरण बदल गया।
यह संयोग ही हो सकता है कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से अशोक जुनेजा की फरवरी माह में सेवानिवृत्ति के बाद से अरुणदेव गौतम कार्यकारी डीजीपी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यह सब विपक्ष के पास प्रदेश सरकार में अनिर्णय की स्थिति पर प्रश्न खड़ा करने का मुद्दा भी बन गया है।
यही कारण है कि गुटों में बंटी प्रदेश कांग्रेस को एकजुट करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने पहल की है और किसान, जवान और संविधान सभा के माध्यम से प्रदेश की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने की रणनीति बनाई है। निशाने पर मुख्य रूप से केंद्र सरकार होगी जिस पर संविधान और संवैधानिक संस्थानों की स्वायत्तता पर प्रहार करने का कांग्रेस द्वारा लगातार आरोप लगाया जा रहा है।
कांग्रेस सदन में किन मुद्दों को उठाएगी?
कांग्रेस प्रवक्ता संकेत दे चुके हैं कि कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के साथ ही आदिवासियों और वंचितों का मुद्दा भी उठेगा। किसानों के समर्थन में खाद-बीज का मामला भी चर्चा में रहेगा। इसके साथ ही बस्तर में माओवादियों से संघर्ष और औद्योगिक प्रगति के प्रयासों में भी कांग्रेस प्रभावशाली विपक्ष की भूमिका निभाने के प्रयास में दिखेगी। यद्यपि यह सर्वविदित है प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी कलह सतह पर है।
यह और स्पष्ट हो गई जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में भाजपा सरकार की विफलताओं पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के हमलावर नहीं होने का आरोप लगाया।
जवाब में डॉ. महंत ने घोषणा कर दी कि मानसून सत्र में लाठी लेकर विधानसभा जाएंगे। उनकी हंसी में उपहास तो था ही प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों में एक के बाद एक नेताओं और अधिकारियों के जेल जाने के प्रति उपेक्षा भी थी। इस बात पर पार्टी के अंदर ही संदेह है कि कांग्रेस की सभा प्रदेश के नेताओं में किसी प्रकार तालमेल कायम करने में सफल रहेगी।
भाजपा विधायकों का लगेगा मैनपाट जमावड़ा
इसी दौरान भाजपा के विधायक अगले तीन दिनों तक सरगुजा के मैनपाट में होंगे। रोपाखार जलाशय के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तीन दिवसीय सांसद-विधायक प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत करेंगे तो गृह मंत्री अमित शाह देश के सम्मुख चुनौतियों के समाधान में भाजपा की भूमिका बताएंगे।
जनप्रतिनिधियों को विकसित छत्तीसगढ़ में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रदेश की स्थापना के रजत जयंती वर्ष के साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर भी मंथन होगा। इन सबके बीच शिक्षा मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एक मजबूत संदेश देने में सफल रहे हैं।
शिक्षक मुद्दे ने बनाया माहौल
लगभग साढ़े चार सौ शिक्षकविहीन और पांच हजार एक शिक्षक वाले स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती ने प्रदेश में हलचल की स्थिति उत्पन्न कर दी है। 13 हजार से अधिक शिक्षकों के तबादले से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार हुआ है।
इस तरह अन्य विभागों के मंत्रियों के समक्ष भी लंबे समय से एक ही स्थानों पर जमे हुए कर्मचारियों और अधिकारियों को सही स्थानों पर नियुक्त करने की चुनौती खड़ी हो गई है। इनसे जुड़े मामले भी चुनावी सभा में उभरेंगे, परंतु कांग्रेस के लिए चुनौती होगी कि सोमवार को भारी बारिश के बीच उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष को सुनने के लिए कितने कार्यकर्ता और समर्थक पहुंच पाते हैं।
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