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अखिलेश ने कहा- दिल्ली चुनाव में बढ़ी भाजपा की बदजुबानी, चुनाव आयोग को लेना चाहिए संज्ञान

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आज सत्ताधारी पार्टी जिस तरह से समाज में नफरत फैला रही है उसका दुष्परिणाम है कि कुछ नौजवान असलहों के साथ प्रदर्शन करने लगे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 10:45 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 08:22 AM (IST)
अखिलेश ने कहा- दिल्ली चुनाव में बढ़ी भाजपा की बदजुबानी, चुनाव आयोग को लेना चाहिए संज्ञान
अखिलेश ने कहा- दिल्ली चुनाव में बढ़ी भाजपा की बदजुबानी, चुनाव आयोग को लेना चाहिए संज्ञान

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि दिल्ली के चुनावों में भाजपा की बदजुबानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। इससे साबित होता है कि भाजपा अपनी साख और जमीन दोनों खो रही है। भाषा में गिरावट राजनीति में घटिया सोच व संकीर्ण मानसिकता उजागर करती है। चुनाव आयोग को बिगड़े बोलों का संज्ञान लेकर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।

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पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह दुखद स्थिति है कि आज राजनीति में निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल हो रहा है। जानबूझकर भड़काऊ बयान देने वाले ऐसे असामाजिक तत्वों की संसद या विधानमंडल की सदस्यता खत्म होनी चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों पर सदैव के लिए प्रतिबंध लगना चाहिए।

अखिलेश यादव ने कहा कि आज सत्ताधारी पार्टी जिस तरह से समाज में नफरत फैला रही है उसका दुष्परिणाम है कि कुछ नौजवान असलहों के साथ प्रदर्शन करने लगे हैं। भाजपा व आरएसएस को इसके दुष्परिणामों से सबक लेना चाहिए। भाजपा आजादी की लड़ाई के इतिहास को भी कलुषित कर रही है। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगड़े का नाम लिए बगैर कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में जिस आजादी के लिए लाखों लोगों ने कुर्बानी दी उसे भाजपा सांसद अंग्रेजों की सहमति से नाटक बता रहे हैं। उन्हें ऐसा कहते हुए शर्म भी नहीं आई।

दिल्ली के चुनावों में भाजपाई बदजुबानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। इससे साबित होता है कि भाजपा अपनी साख और जमीन दोनों खोती जा रही है। भाषा के स्तर में गिरावट राजनीति में घटिया सोच और संकीर्ण मानसिकता को उजागर करती है। माननीय उच्च न्यायालय और चुनाव आयोग को बिगड़े बोलों का संज्ञान लेकर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। जरूरी तो यह है कि जानबूझकर भड़काऊ बयान देने वाले ऐसे असामाजिक तत्वों की संसद या विधानमंडल की सदस्यता रद्द करके इन पर सदैव के लिए प्रतिबंध लगाना चाहिए। साथ ही आगामी चुनावों में उन विषयों की सूची चुनाव आयोग को पहले से ही जारी करनी चाहिए जिन पर बोलने से दोषी की उम्मीदवारी रद्द हो जाए।


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