Lok Sabha Result: क्या केंद्र की सत्ता के लिए वायनाड छोड़ देंगे राहुल गांधी? रायबरेली सीट से बदल गए सारे समीकरण
केंद्र की सियासत के लिए भी उत्तर प्रदेश को सत्ता की कुंजी माना जाता है और 2024 के चुनाव नतीजों में कांग्रेस-सपा गठबंधन के शानदार प्रदर्शन ने इसकी झलक दिखा दी है।ऐसे में राहुल गांधी के पास रायबरेली को ही अपनी पसंद बनाने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।रायबरेली सीट का दो दशक तक प्रतिनिधित्व करने के बाद सोनिया गांधी ने इस बार चुनाव न लड़ने का फैसला किया

संजय मिश्र, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति की दौड़ में मजबूत वापसी कराने के बाद अब यह लगभग तय हो गया है कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में पार्टी का सियासी पांव जमाने के लिए नए दौर की शुरुआत करेंगे। इस लिहाज से यह तय माना जा रहा है कि लोकसभा की दो सीटों से चुनाव जीते राहुल गांधी अपने परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली का ही संसद में प्रतिनिधित्व करेंगे और उनका केरल की वायनाड लोकसभा सीट छोड़ना लगभग तय माना जा रहा है।
चुनाव नतीजे आने के बाद उन्होंने अपनी पहली प्रतिक्रिया में उत्तर प्रदेश की जनता का संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए गहरा आभार जताते हुए राजनीति की उनकी परख को सलाम करते हुए आने वाले समय में अपनी सियासी सक्रियता बढ़ाने का संकेत दिया था। केरल की वायनाड लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार वोटों के बड़े अंतर से जीते राहुल गांधी के लिए इस सीट को छोड़ना एक कड़ा फैसला होगा, क्योंकि 2019 में अमेठी में हुई अप्रत्याशित हार के मद्देनजर इस सीट से उनकी जीत बेहद निर्णायक थी। लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की ताकत में और इजाफा करने के लिए उत्तर प्रदेश तथा बिहार जैसे राज्यों में अधिक जमीन मजबूती की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश को माना जाता है सत्ता की कुंजी
केंद्र की सियासत के लिए भी उत्तर प्रदेश को सत्ता की कुंजी माना जाता है और 2024 के चुनाव नतीजों में कांग्रेस-सपा गठबंधन के शानदार प्रदर्शन ने इसकी झलक दिखा दी है। ऐसे में राहुल गांधी के पास रायबरेली को ही अपनी पसंद बनाने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। जैसा कि स्वयं राहुल ने कहा भी कि नियमों का तकाजा है कि वे एक ही सीट से सांसद रह सकते हैं। उनके वश में होता तो रायबरेली व वायनाड दोनों का प्रतिनिधित्व करते। रायबरेली सीट का दो दशक तक प्रतिनिधित्व करने के बाद सोनिया गांधी ने इस बार चुनाव न लड़ने का फैसला किया और राहुल को अपनी सियासी कर्मभूमि की यह विरासत सौंपी।
मैं अपना बेटा आप को सौंप रही हूं- सोनिया गांधी
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता से यह कहा भी था कि मैं अपना बेटा आप को सौंप रही हूं। वह आपको निराश नहीं करेंगे।कांग्रेस के साथ ही राहुल और गांधी परिवार के लिए उत्तर प्रदेश में पांव जमाने का यह सुनहरा मौका शायद ही मिले, क्योंकि नई लोकसभा में पार्टी ने छह सीटें हासिल की हैं जो 2009 के बाद उसकी सबसे बड़ी संख्या है। इससे भी अहम यह है कि गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी भी कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को हराकर वापस हासिल कर ली है।
पार्टी में होने लगी है सुगबुगाहट
वायनाड लोकसभा सीट से राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद इसका प्रतिनिधित्व कौन करेगा, इसे लेकर भी पार्टी में सुगबुगाहट होने लगी है। बेशक अभी पार्टी ने इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन वायनाड सीट पर उप चुनाव की स्थिति में प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव लड़ने की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा रहा। लोकसभा चुनाव में प्रियंका कांग्रेस की तीन सुपर स्टार प्रचारकों में रहीं, जिन्होंने 108 से अधिक रैलियां और रोड शो कर पार्टी के अभियान में ऊर्जा भरी। कांग्रेस नेतृत्व भी अब धीरे-धीरे उनकी राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका बढ़ाने के इरादों का संकेत देने लगा है।
पहली बार प्रियंका शीर्ष विपक्षी नेताओं की बैठक का बनीं हिस्सा
विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए की एक जून को हुई बैठक में पहली बार प्रियंका शीर्ष विपक्षी नेताओं की बैठक का हिस्सा बनीं तो चुनाव परिणाम के बाद बुधवार को हुई विपक्ष के शीर्ष नेताओं की बैठक में भी वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ शामिल हुईं। केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस इसमें कोई जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है। राहुल वायनाड छोड़ते हैं और उपचुनाव में प्रियंका उतरती हैं तो कांग्रेस अपने सियासी विरोधियों को केरल को मझधार में छोड़ देने के किसी तरह के दुष्प्रचार को थाम सकती है।
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