Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, जानिए- क्या है क्रीमी लेयर

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Fri, 24 Aug 2018 04:58 PM (IST)

    सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, जानिए- क्या है क्रीमी लेयर

    नई दिल्ली, जेएनएन। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए सरकार से पूछा कि जिस तरह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अमीर लोगों को क्रीमी लेयर के सिद्धांत के तहत आरक्षण के लाभ से वंचित रखा जाता है, उसी तरह एससी-एसटी के अमीर लोगों को प्रमोशन में आरक्षण के लाभ से क्यों वंचित नहीं किया जा सकता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि नौकरी के शुरुआत में आरक्षण का नियम तो ठीक है लेकिन अगर कोई व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेकर राज्य का मुख्य सचिव बन जाता है तो क्या ये तर्कसंगत होगा कि उसके बच्चों को पिछड़ा मान कर नौकरी में प्रोन्नति में आरक्षण दिया जाए और जिससे परिणामी वरिष्ठता भी मिलती हो। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ये जानना जरूरी है कि क्रीमी लेयर की परिभाषा क्या है और इसका लाभ किन लोगों को दिया जाता है।

    क्या है क्रीमी लेयर?
    क्रीमी लेयर में आने वाले पिछड़ा वर्ग के लोग आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाते हैं। सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। लेकिन, परिवार की वार्षिक आय क्रीमी लेयर के दायरे में ना आती हो। पहले सालाना वार्षिक आय की सीमा 6 लाख रुपये थी जिसे बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दिया गया। साल 1993 में इसकी सीमा एक लाख रुपये थी। अब तक इसे तीन बार बढ़ाया गया है। साल 2004 में आय सीमा बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये, 2008 में 4.5 लाख रुपये और 2013 में छह लाख रुपये की गई। जिसे साल 2017 में बढ़ाकर आठ लाख रुपये कर दिया गया।