Move to Jagran APP

जानें- क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 और क्यों विरोध कर रहे हैं कुछ राजनीतिक दल

नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पर मंगलवार को असम की सड़कों से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन हुआ। जानें विधेयक और इसके विरोध की कुछ अहम बातें।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 06:23 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 06:45 PM (IST)
जानें- क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 और क्यों विरोध कर रहे हैं कुछ राजनीतिक दल
जानें- क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 और क्यों विरोध कर रहे हैं कुछ राजनीतिक दल

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर मंगलवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पारित हो गया। सोमवार से ही इसके खिलाफ कुछ राजनीतिक दल और संगठन असम में जोरदार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। असम में सोमवार से ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) समेत 30 संगठनों ने बंद बुलाया हुआ था। वहीं मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने संसद में इस विधेयक पर प्रदर्शन किया। ऐसे में आपके लिए भी जानना जरूरी है कि आखिर क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 और क्यों हो रहा है इसका विरोध।

loksabha election banner

1. राजीव गांधी सरकार के दौर में असम गण परिषद से समझौता हुआ था कि 1971 के बाद असम में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों को निकाला जाएगा।
2. नए बिल के तहत 1971 के बेस ईयर को बढ़ाकर 2014 कर दिया गया।
3. ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य के अनुसार इस विधेयक से असम के स्थानीय समुदायों के अस्तित्व पर खतरा हो गया है। वे अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यक बन गए हैं।
4. कैबिनेट द्वारा नागरकिता संशोधन बिल को मंजूरी देने से नाराज असम गण परिषद ने राज्य की एनडीए सरकार से अलग होने का ऐलान किया है।
5. नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौध, जैन, पारसी व ईसाई शरणार्थियों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर नागरिकता मिल जाएगी।

6. यह संशोधन विधेयक 2016 में पहली बार लोकसभा में पेश किया गया था।
7. असम व अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में विधेयक के खिलाफ लोगों का बड़ा तबका धरना-प्रदर्शन कर रहा है। इनका मानना है कि ये विधेयक 1985 के असम समझौते को अमान्य करेगा। इसके तहत 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की बात कही गई थी, भले ही उसका धर्म कोई हो।
8. नया विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। भाजपा ने 2014 के चुनावों में इसका वादा किया था।
9. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम समेत कुछ अन्य पार्टियां लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं। उनका दावा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है, क्योंकि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है।
10. भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना और जेडीयू ने भी ऐलान किया है कि वह संसद में विधेयक का विरोध करेंगे।
11. बिल का विरोध कर रहे बहुत से लोगों का कहना है कि यह धार्मिक स्तर पर लोगों को नागरिकता देगा।
12. तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी के अनुसार केंद्र के इस फैसले से करीब 30 लाख लोग प्रभावित होंगे।
13. विरोध कर रही पार्टियों का कहना है कि नागरिकता संशोधन के लिए धार्मिक पहचान को आधार बनाना संविधान के आर्टिकल14 की मूल भावनाओं के खिलाफ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.