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    क्या है कच्चाथीवू द्वीप मामला, जिससे इंदिरा गांधी का नाम लेकर कांग्रेस को घेर रही भाजपा; यहां पढ़ें आखिर क्यों मचा है बवाल

    Updated: Mon, 01 Apr 2024 10:57 AM (IST)

    Katchatheevu Island issue कच्चाथीवू द्वीप मामले को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है जिसपर पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा है। पीएम ने रिपोर्ट को साझा कर कहा कि ये आंखें खोलने वाली और चौंकाने वाली है। इससे पता चल गया है कि कैसे कांग्रेस ने कच्चाथीवू को श्रीलंका को दे दिया। आइए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है और यह द्वीप श्रीलंका के पास कैसे गया।

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    Katchatheevu Island issue कच्चाथीवू द्वीप को लेकर मचा घमासान।

    जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Katchatheevu Island issue कच्चाथीवू द्वीप का मुद्दा अब तमिलनाडु की राजनीति से होते हुए राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। 1974 में इंदिरा गांधी सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप को लेकर श्रीलंका से एक समझौता किया था। इसके तहत सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका का हिस्सा माना था। 

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    पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा

    अब इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसपर पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा है। पीएम ने रिपोर्ट को साझा कर कहा कि ये आंखें खोलने वाली और चौंकाने वाली है। इससे पता चल गया है कि कैसे कांग्रेस ने कच्चाथीवू को श्रीलंका को दे दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा है। पीएम ने कहा कि अब सभी को पता चल गया कि हम कभी भी कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते।

    दक्षिणी राज्यों में पैठ बढ़ाने की कोशिश

    दरअसल, भाजपा इस मुद्दे के सहारे दक्षिण की राजनीति में अपने पैर जमाने की कोशिश में लगी है। पीएम ने कच्चाथीवू द्वीप को लेकर डीएमके तक को आड़े हाथ लिया है। पीएम ने कहा कि इस द्वीप को श्रीलंका को देने में डीएमके का भी हाथ है। 

    यह है पूरा मामला

    दरअसल, यह रिपोर्ट तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई के उस आरटीआई को लेकर सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि 1974 में इस द्वीप को पड़ोसी देश को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने कैसे सौंपा था। पीएम ने इस पर कहा कि भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करना ही कांग्रेस का 75 साल से काम करने का तरीका रहा है। 

    कहां बसा है कच्चाथीवू द्वीप

    कच्चाथीवू द्वीप हिंदमहासागर के दक्षिणी छोर पर बसा है। यह रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित है और 285 एकड़ में फैला है। यहां आए दिन ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं, इस कारण यहां कोई नहीं रहता। आजादी से पहले कच्चाथीवू द्वीप भारत के अधीन था और श्रीलंका इस पर अपना दावा ठोकता रहता था। 

    भारत ने श्रीलंका को क्यों दे दिया ये द्वीप

    कच्चाथीवू द्वीप को लेकर भारत और श्रीलंका में हमेशा विवाद खड़ा रहता था। 1974 में विवाद को कम करने के लिए भारत और श्रीलंका के बीच कोलंबो और दिल्ली में दो बैठकें हुईं। इन बैठकों में भारत ने द्वीप को अपना बताया और सबूत भी दिए और कहा कि ये वहां के राजा नामनद के अधिकार में था। 

    हालांकि, तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि श्रीलंका का दावा भी मजबूत है। इसके बाद इंदिरा ने इसे श्रीलंका को गिफ्ट के तौर पर दे दिया।   

    दोनों देशों में हुआ यह समझौता

    द्वीप को श्रीलंका को सौंपने से पहले दोनों देशों में समझौता भी हुआ था। इसके तहत भारत के मछुआरे यहां अपना जाल सुखा सकते हैं और भारतीयों को यहां जाने के लिए किसी वीजा की भी जरूरत नहीं होगी। इस द्वीप का मुद्दा तमिलनाडु की राजनीति में भी कई बार उठा है और सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा।

    क्यों हो रहा है हंगामा? 

    भारतीय मछुआरे कई बार अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करते हुए श्रीलंका की सीमा में दाखिल हो जाते हैं। श्रीलंका सरकार उनपर कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। वहीं, उनके नौकाओं को भी जब्त कर लिया जाता है, जिससे मछुआरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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