'पूर्वजों के नाम पर माफी मांगें...', आपातकाल को याद कर दत्तात्रेय होसबाले ने कांग्रेस नेताओं से क्या कहा?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर इसे भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात बताया। उन्होंने कहा कि 1975 में आपातकाल लगाने वालों ने आज तक देश से माफी नहीं मांगी, जबकि उन्होंने लाखों लोगों को जेल में डाला, मौलिक अधिकारों का हनन किया, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी और न्यायपालिका को कमजोर किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर साधा निशाना।(फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने गुरुवार को आपातकाल की 50वीं बरसी पर कहा कि वर्ष 1975 में लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात था।
दत्तात्रेय होसबाले जी दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में संस्कृति मंत्रालय के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, अम्बेडकर इंटरनेश्लन सेंटर और बहुभाषी संवाद समिति ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
आपातकाल को लेकर क्या बोले?
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जिन लोगों ने यह (आपातकाल लगाया) किया, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं। उन्होंने आज तक भारत की जनता से इसके लिए माफ़ी नहीं मांगी। आपने 1 लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाला, 250 से ज्यादा पत्रकारों को जेल में रखा, मौलिक अधिकारों का हनन किया और 60 लाख भारतीयों को नसबंदी के लिए मजबूर किया। आपने न्यायपालिका की आजादी खत्म कर दी। क्या ऐसा करने वाले सभी लोगों ने देश से माफ़ी मांगी है? अगर यह आपने नहीं बल्कि आपके पूर्वजों ने किया है, तो आपको उनके नाम पर माफी मांगनी चाहिए।"
#WATCH | Delhi: At the event organised on 50 years of the Emergency, RSS General Secretary Dattatreya Hosabale says, "The people who did this (imposed the Emergency) are roaming around with the Constitution copy today. They have, to date, not apologised to the people of India for… pic.twitter.com/VFOZd3dKDG
— ANI (@ANI) June 26, 2025
आपातकाल नागरिक स्वतंत्रता को कुचलने का प्रयास था: दत्तात्रेय होसबाले
उन्होंने कहा कि आपातकाल केवल सत्ता का दुरुपयोग नहीं, बल्कि नागरिक स्वतंत्रता को कुचलने का प्रयास था। लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला हुआ। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आपातकाल थोपकर संविधान और लोकतंत्र का दमन किया, उन्होंने आज तक माफी नहीं मांगी। यदि उन्होंने स्वयं नहीं किया तो उन्हें पूर्वजों के नाम पर माफी मांगनी चाहिए।
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