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    यूपी में उपचुनाव से पहले सपा-कांग्रेस की दोस्ती में दरार! दलित-मुस्लिम वोटों के मोह से गठबंधन में खींचतान

    Updated: Fri, 04 Oct 2024 08:08 PM (IST)

    UP Assembly bypolls उत्तर प्रदेश में दस सीटों पर उपचुनाव से पहले सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन में खींचतान के संकेत मिलने लगे हैं। दोनों दल दोस्ती का हाथ तो थामे रखना चाहते हैं लेकिन इसके बीच दलित-मुस्लिम वोटों को अपनी-अपनी ओर खींचने का मोह भी आड़े आ रहा है। कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने हुंकार के साथ सभी सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी तेज कर दी है।

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    कांग्रेस ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। (File Image)

    जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में आईएनडीआइए को लगभग एकमुश्त मुस्लिम वोट मिला और दलितों ने भी विपक्षी गठबंधन की ताकत बढ़ाई। सफलता के इस सफर को अगले चुनावों तक भी ले जाने के लिए सपा और कांग्रेस परस्पर दोस्ती का हाथ थामे रखना चाहते हैं, लेकिन इसके बीच दलित-मुस्लिम वोटों को अपनी-अपनी ओर खींचने का मोह किस तरह आड़े आ रहा है, इसका संकेत मिलने लगा है।

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    राज्य में जिन दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से पिछली बार जीती गई पांच सीटों पर तो सपा का मजबूत दावा स्वाभाविक ही है, लेकिन वह कांग्रेस को मीरापुर, मझवां और फूलपुर जैसी सीटें देने के लिए नहीं है, जिन पर मुस्लिम या दलित मतदाताओं की अच्छी संख्या है। फिलहाल कांग्रेस की प्रदेश इकाई भी इन सीटों पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं है और हुंकार के साथ सभी सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी भी तेज कर दी है।

    2027 के लिए जमीन तैयार करना चाहती है कांग्रेस

    उत्तर प्रदेश में अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, फैजाबाद की मिल्कीपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, मैनपुरी की करहल, प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, मुरादाबाद की कुंदरकी और गाजियाबाद विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। अभी उपचुनाव घोषित नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं।

    भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावी कमान संभालते हुए मंत्रियों को प्रभारी बनाकर मैदान में उतार दिया है तो सपा और कांग्रेस गठबंधन के साथ फिर भाजपा से मुकाबला करना चाह रहे हैं। चूंकि, लोकसभा चुनाव में सपा के साथ कांग्रेस की स्थिति भी सुधरी है और वह एक सीट से बढ़कर छह पर पहुंच गई है तो वह इस सफलता को भुनाते हुए 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करना चाहती है।

    केवल दो सीटें देने के लिए तैयार सपा 

    लिहाजा, उपचुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से प्रस्ताव पहले ही रख दिया गया था कि जिन सीटों पर पिछला चुनाव सपा जीती थी, उन पांचों पर सपा के प्रत्याशी लड़ें और जिन पर भाजपा की तीन, राजग सहयोगी रालोद और निषाद पार्टी वाली एक-एक यानी कुल पांच सीटों पर कांग्रेस लड़े। सूत्रों के अनुसार, सपा की ओर से सिर्फ गाजियाबाद और खैर की सीट कांग्रेस को देने का संकेत है। मगर, कांग्रेस इस पर तैयार नहीं है।

    वह खास तौर पर मीरापुर, मझवां और फूलपुर पर दावा कर रही है तो सपा भी इन्हें बिल्कुल छोड़ना नहीं चाह रही। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मीरापुर सीट पर अल्पसंख्यक काफी संख्या में है। वहां लड़ने वाली विपक्षी पार्टी के साथ मुस्लिम लामबंद होना तय है, जिसका लाभ आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा। इसी तरह फूलपुर और मझवां में दलित वोटर अच्छी संख्या में हैं।

    सम्मानजनक सीट बंटवारा चाहती है कांग्रेस

    दावा है कि कांग्रेस की वजह से ही दलित मतदाता विपक्षी गठबंधन के साथ जुड़ा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि हमारे लिए एक-एक सीट महत्वपूर्ण है। सपा के प्रस्ताव पर हाईकमान निर्णय करेगा, लेकिन प्रदेश की ओर से राष्ट्रीय नेतृत्व को उन पांच सीटों का प्रस्ताव दे दिया है, जिन पर भाजपा या उसके सहयोगी दल पिछला चुनाव जीते थे।

    कांग्रेस समझौते में सम्मानजनक सीट बंटवारा चाहती है, वैसे हमारी तैयारी सभी दस सीटों पर है। फूलपुर, मझवां और मीरापुर में से दो सीटों पर संविधान सम्मेलन किए भी जा चुके हैं। अब तीसरे की तैयारी है।