वाराणसी में बोले सीएम योगी आदित्यनाथ - '2030 तक उत्तर प्रदेश बनेगा वैश्विक फूड बास्केट'
उत्तर प्रदेश 2030 तक वैश्विक फूड बास्केट बनने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश देश के खाद्यान्न उत्पादन में 21% का योगदान देता है। उन्होंने कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित डीएसआर कॉन्क्लेव में यह बात कही। मुख्यमंत्री ने सॉयल हेल्थ कार्ड और सम्मान निधि योजना जैसी कृषि योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आइसार्क) में कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) कॉन्क्लेव को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि देश के खाद्यान्न उत्पादन में अकेले उत्तर प्रदेश का 21 प्रतिशत योगदान है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर एक ऐतिहासिक सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें 2030 तक उत्तर प्रदेश को ग्लोबल फूड बैसकेट बनाने के लक्ष्य पर विचार विमर्श किया गया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "पिछले 11 वर्षों में प्रदेश की कृषि प्रणाली में व्यापक एवं क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सॉयल हेल्थ कार्ड, इंश्योरेंस, एमएसपी जैसी सुविधाएँ मिल रही हैं। इसके साथ ही, 10 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि योजना का लाभ प्रति वर्ष मिलता है। उत्तर प्रदेश अपने सीमित क्षेत्रफल (11 प्रतिशत) के बावजूद राष्ट्रीय खाद्य उत्पादन में 21 प्रतिशत योगदान देकर कृषि क्षेत्र में अग्रणी राज्य बना हुआ है।"
योगी आदित्यनाथ ने इरी और आइसार्क के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इन संस्थानों ने जलवायु-संवेदनशील धान की किस्मों और आधुनिक धान उत्पादन तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में चार कृषि विश्वविद्यालय कार्यरत हैं और एक नया विश्वविद्यालय जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा, राज्य में इरी और आइसार्क जैसे वैश्विक अनुसंधान संस्थान भी सक्रिय हैं, जो कृषि नवाचार, टिकाऊ खेती और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने भारत की कृषि परंपराओं में निहित ज्ञान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हमें अपनी समृद्ध पारंपरिक ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए, जो पीढ़ियों से हमें विरासत में मिला है।" उन्होंने कलानमक धान की विशेषता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भगवान बुद्ध को महाप्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता था।
उन्होंने उत्तर प्रदेश की कृषि प्रगति और भविष्य की दृष्टि को उजागर करते हुए कहा, "राज्य में अनुकूल कृषि-पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार के प्रयासों ने अन्न, दालें, तेलहन और सब्जियों की उत्पादन क्षमता को पांच गुना बढ़ा दिया है।"
कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आइसार्क और इसके निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने धान अनुसंधान और विकास में संस्थान की सक्रिय भूमिका की प्रशंसा की।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ का भी जश्न मनाया गया। कार्यक्रम में सतत, जलवायु-स्मार्ट और तकनीक-संचालित कृषि प्रथाओं के माध्यम से राज्य की कृषि में परिवर्तन लाने के दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कृषि ज्ञान उत्पादों और मशीनरी नवाचारों का अनावरण भी किया, जो उत्तर प्रदेश में कृषि के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने किसानों को मिनी किट वितरित कीं, जो आधुनिक खेती की तकनीकों को अपनाने के लिए सरकार के सहयोग का प्रतीक है।
मुख्य मशीनरी नवाचारों में ई-सीडर फॉर राइस और प्रिसीजन हिल सीडर शामिल हैं, जो धान की खेती को अधिक कुशल बनाने में मदद करेंगे। कार्यक्रम का समापन कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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