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नितिन गडकरी ने की पंडित नेहरू की तारीफ, कहा- दूसरों से पहले खुद को सुधारना चाहिए

नितिन गडकरी ने कई मुद्दों पर बेबाकी से विचार रखे। उन्होंने पंडित नेहरू की तारीफ की तो असहिष्णु और घमंडी नेताओं को नसीहत दी।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 10:54 AM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 03:05 PM (IST)
नितिन गडकरी ने की पंडित नेहरू की तारीफ, कहा- दूसरों से पहले खुद को सुधारना चाहिए
नितिन गडकरी ने की पंडित नेहरू की तारीफ, कहा- दूसरों से पहले खुद को सुधारना चाहिए

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सिस्टम को सुधारने के लिए दूसरों की बजाए पहले खुद को सुधारना चाहिए। इसके लिए उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सोच का भी उदाहरण दिया। गडकरी ने असहिष्णुता को लेकर भी अपने विचार रखे और कहा कि सहनशीलता और विविधता में एकता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पहलू है। नितिन गडकरी इंटेलीजेंस ब्यूरो के 31वें एंडोमेंट लेक्चर में बोल रहे थे। 

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इस दौरान उन्होंने कहा, 'पंडित नेहरू कहते थे कि भारत एक देश नहीं बल्कि जनसंख्या है और वो कहते थे कि यहां का हर व्यक्ति इस देश के लिए प्रश्न है, समस्या है। मुझे उनका ये भाषण बहुत पसंद है। तो मैं इतना तो कर ही सकता हूं कि मैं देश के सामने समस्या नहीं रहूंगा।' उन्होंने आगे कहा कि अगर सब लोग इतना भी तय कर लें कि मैं देश का सामने समस्या नहीं रहूंगा तो भी आधे प्रश्न सुलजाए जाएंगे।' 

असहिष्णुता पर ये बोले गडकरी

देश में असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सहनशीलता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि एकता और विविधता भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। सभी के लिए न्याय और किसी का तुष्टिकरण नहीं। गडकरी ने कहा कि यह सच्चाई है कि किसी व्यक्ति को उसकी खासियत और कार्यो की वजह से महान समझा जाता है, उसके धर्म, जाति, भाषा के आधार पर नहीं। गडकरी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भीड़ की हिंसा पर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान पर देश में घमासान छिड़ा है। 

घमंडी नेताओं पर भी तंज

गडकरी ने यह भी कहा कि राजनीति सामाजिक आर्थिक बदलाव का कारक है। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर सामाजिक आर्थिक बदलाव नहीं होता है, देश और समाज की प्रगति नहीं होती है तो आपके सत्ता में आने और सत्ता से जाने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि लोगों को साथ लेकर चलना चाहिए। आप बहुत अच्छे और बहुत प्रभावशाली हो सकते हैं, लेकिन अगर आपके साथ लोगों का समर्थन नहीं है तो आपके अच्छे या प्रभावशाली होने का कोई मतलब नहीं है।


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