UCC: '13 जुलाई तक तो इंतजार करो', समान नागरिक संहिता पर केंद्रीय मंत्री मेघवाल का किस ओर इशारा?
Arjun Ram Meghwal on UCC केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यूसीसी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि सभी को 13 जुलाई तक का इंतजार करना पड़ेगा और फिर सही उत्तर मिलेगा। कई मीडिया रिपोर्ट की माने तो केंद्र सरकार इस मानसून सत्र में यूसीसी पर बिल संसद में ला सकती है। इसको लेकर विपक्ष भी हमलावर है।

नई दिल्ली, एजेंसी। Arjun Ram Meghwal on UCC प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता पर दिए बयान के बाद से देश में ये मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष जहां इसके विरोध में लामबंद है तो भाजपा इसे जल्द देश में लागू करने की बात कह रही है। इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का यूसीसी पर बयान सामने आया है।
मेघवाल बोले- 13 जुलाई का करें इंतजार
मेघवाल ने कहा कि इस विषय पर सभी को 13 जुलाई तक का इंतजार करने की जरूरत है। दरअसल, मेघवाल मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, इसी बीच एक पत्रकार ने उनसे जब यूसीसी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पर सब साफ हो जाएगा।
#WATCH | Union Law Minister Arjun Ram Meghwal speaks on Uniform Civil Code (UCC), he says, "Law Commission of India has put it in the public domain, 13th July is the last date, should wait till then." pic.twitter.com/w400mBnlr3
— ANI (@ANI) June 29, 2023
यूसीसी पर विवादित टिप्पणी करने की बजाय प्रतीक्षा करें
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि यूसीसी के मुद्दे पर लोगों से सुझाव मांगे गए हैं, इसके लिए एक महीने का समय दिया गया है, लॉ कमीशन ने भी कहा है कि उन्हें प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कोई विवादित टिप्पणी करने की बजाय लोगों को प्रतीक्षा करनी चाहिए। इस मसले पर आगे बोलने से उन्होंने दूरी बनाई।
मानसून सत्र में बिल लाने की अटकलें
बता दें कि कई मीडिया रिपोर्ट में ये सामने आया है कि केंद्र सरकार इस मानसून सत्र में यूसीसी पर बिल संसद में ला सकती है। इसको लेकर विपक्ष भी हमलावर है।
कानून आयोग ने लोगों से मांगी है राय
गौरतलब है कि भारत के कानून आयोग ने यूसीसी के ड्राफ्ट को सार्वजनिक डोमेन में डाला हुआ है और इसपर 13 जुलाई तक लोगों से राय मांगी है।
पिछले विधि आयोग ने भी परोक्ष रूप से समान नागरिक संहिता का ही दिया था सुझाव
22वें विधि आयोग ने फिर से इस दिशा में काम शुरू किया है और आम जनता से राय मंगाई है। इसके साथ ही कांग्रेस पिछले यानी 21वें विधि आयोग के परामर्श पत्र को आधार बनाकर यह तर्क रख रही है कि उसने समान नागरिक संहिता को गैर जरूरी बताया था। पर सच्चाई यह है कि 21वें आयोग ने भी समान कानून की बात की थी और परिवार विधियों के जरिए इसका रास्ता बताया था।
21वें विधि आयोग ने लोगों की राय मंगाई विचार विमर्श किया और उसके बाद समान नागरिक संहिता पर कोई रिपोर्ट देने के बजाए विभिन्न परिवार कानूनों जिसमें सेक्युलर लॉ के अलावा विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ में संशोधन करके कानूनी अधिकारों में बराबरी लाने की बात कही थी।
परामर्श पत्र में क्या कुछ कहा?
उस परामर्श पत्र में शादी, तलाक, भरण पोषण, उत्तराधिकार, गोद लेना आदि से संबंधित कानूनों में बदलाव के जो सुझाव दिये गए हैं वे वास्तव में समान नागरिक संहिता की ओर ही ले जाते हैं, क्योंकि समान नागरिक संहिता में भी इन्ही विषयों में समान कानून लागू करने की बात हो रही है।
जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले 21वें विधि आयोग ने जस्टिस चौहान का कार्यकाल समाप्त होने के आखिरी दिन 31 अगस्त, 2018 को परिवार कानूनों में संशोधन के सुझाव वाले परामर्श पत्र जारी किये थे।
समान नागरिक संहिता में कौन-कौन से विषय आते हैं?
समान नागरिक संहिता में जो विषय आते हैं उनमें शादी, तलाक, भरण पोषण, उत्तराधिकार, गोदलेना, विरासत आदि विषय ही आते हैं और यही विषय परिवार कानूनों के भी हैं। परिवार कानून के ये विषय राज्य सूची में भी आते हैं इसलिए कुछ राज्य आजकल समान नागरिक संहिता तैयार करने में लगे हैं। अब अगर 21वें विधि आयोग के परामर्श पत्र को देखा जाए तो उसमें भी इन्हीं विषयों से जुड़े कानूनों और पर्सनल ला में संशोधन और संहिताबद्ध करने की बात की गई है।
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