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    साथ आ सकते हैं उद्धव और राज ठाकरे! MNC नेता के बयान से महाराष्ट्र का चढ़ा सियासी पारा

    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के बीच गठबंधन को लकर पूछे गए सवाल पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ने गुरुवार को कहा कि गठबंधन करना है या नहीं इस बारे में दोनों भाइयों (राज और उद्धव) को बात करनी होगी। उन्हे एक दूसरे का फोन उठाना होगा।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 05 Jun 2025 09:54 PM (IST)
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    महाराष्ट्र में उद्धव और राज ठाकरे फिर साथ आ सकते हैं।(फाइल फोटो)

    संजीव शिवाडेकर, मुंबई। महाराष्ट्र में उद्धव और राज ठाकरे फिर साथ आ सकते हैं। गठबंधन के लिए उद्धव के बेटे आदित्य और राज के पुत्र अमित तैयार दिख रहे हैं। अब सबकी नजरें उद्धव और राज ठाकरे पर टिकी हैं। गौरतलब है कि 2005 में उद्धव के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए राज ने शिवसेना से नाता तोड़ लिया था। 2006 में, राज ने अपनी पार्टी मनसे की स्थापना की थी।

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    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के बीच गठबंधन को लकर पूछे गए सवाल पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ने गुरुवार को कहा कि गठबंधन करना है या नहीं, इस बारे में दोनों भाइयों (राज और उद्धव) को बात करनी होगी। उन्हे एक दूसरे का फोन उठाना होगा।

    ठाकरे भाइयों के साथ आने से कोई परेशानी नहीं: आदित्य 

    अमित ने कहा,"मीडिया या अखबारों में चर्चा से गठबंधन नहीं होता। कुछ दिन पहले आदित्य ने भी संकेत दिया था कि उन्हें ठाकरे भाइयों के साथ आने से कोई परेशानी नहीं है।"

    आदित्य ने कहा था, महाराष्ट्र के हित में हम किसी से भी हाथ मिलाने को तैयार हैं। अप्रैल में महायुति सरकार (भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा) ने महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक ¨हदी को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था।

    दोनों भाइयों के साथ आने को लेकर खास प्रगति नहीं हुई

    मनसे और शिवसेना (यूबीटी) ने न केवल इस निर्णय का विरोध किया, बल्कि उद्धव और ठाकरे ने मतभेदों को भुलाकर साथ आने का भी संकेत दिया। लेकिन पुनर्मिलन के संकेत के दो महीने बाद भी दोनों भाइयों के साथ आने को लेकर खास प्रगति नहीं हुई। अब जबकि इसी साल बृहन्मुंबई नगर महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव होने हैं, ठाकरे भाइयों के पुनर्मिलन की चर्चाएं जोरों पर हैं।

    मनसे ने 2009 के विधानसभा चुनावों में 13 सीटें जीतकर शानदार शुरुआत की थी और पांच प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था। लेकिन, 2014 में मनसे को केवल एक विधानसभा सीट मिली। 2019 और 2024 में पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी। उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना के जनसमर्थन में भी गिरावट आई।

    दोनों भाई अपनी-अपनी पार्टी को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राजनीतिक हलकों में कई लोगों की राय है कि गठबंधन करना ठाकरे चचेरे भाइयों और उनकी पार्टियों - के अस्तित्व के लिए एकमात्र समाधान है।

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