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Triple Talaq का खौफ खत्म, पीड़िता बोली- मजबूरी में सब कुछ सहा, अब मिला मौलानाओं को जवाब

तलाक पीड़िता शबाना ने कहा तीन तलाक पर सजा जरूरी थी। क्योंकि बगैर सजा और कानून के पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। अब मर्द तलाक देने से पहले सजा के बारे में जरूर सोचेंगे।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 06:59 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 10:15 PM (IST)
Triple Talaq का खौफ खत्म, पीड़िता बोली- मजबूरी में सब कुछ सहा, अब मिला मौलानाओं को जवाब
Triple Talaq का खौफ खत्म, पीड़िता बोली- मजबूरी में सब कुछ सहा, अब मिला मौलानाओं को जवाब

नई दिल्ली, एनएनआइ। लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो गया है। सरकार के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े हैं। यह मोदी सरकार के लिए ऐतिहासिक कामयाबी का दिन है। वहीं, इस दिन को सामाजिक सुधार की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है। बता दें कि BJD ने इस बिल का समर्थन किया, वहीं JDU, AIADMK और TRS ने वॉकआउट किया। PDP और BSP भी वोटिंग में शामिल नहीं हुईं। विपक्ष के सभी बड़े संशोधन प्रस्‍ताव गिरे।

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केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है। यह एक बदलते भारत की शुरुआत है। बता दें कि बिल के पास होते ही मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर देखने को मिल रही है। 

याचिकाकर्ता निदा खान ने ट्रिपल तलाक बिल के पास होने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'मौलानाओं ने हमें इस्लाम विरोधी साबित करने की कोशिश की। यह एक बड़ी जीत है। दुर्भाग्य से, कुछ राजनीतिक दलों के लिए, यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा होगा, लेकिन यह मौलानाओं को मुंह तोड़ जवाब है'।

उन्होंने आगे कहा कि अब तक जो लड़ाई लड़ी, उसमें हमें जीत मिली है। उन्होंने कहा, जितना मौलानाओं ने हमारा विरोध किया, फतवें लगाए, इस्लाम से बाहर निकाला। उनको मुंह तोड़ जवाब दिया गया है कि हम एक संवैधानिक देश में रहते है। हमारे अपने अधिकार है। यह महिलाओं के लिए बड़ी जीत है। अब पति अत्याचार नहीं कर पाएंगे।  

बिल पास होते ही मनाया गया जश्न
एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को सजा के दायरे में लाने का बिल राज्यसभा से पास होते ही सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े मरकज (केंद्र) बरेली में तलाक पीड़िताओं ने जश्न मनाया। निदा खान के घर पीड़िताएं पहुंची। एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई, इस भरोसे के साथ कि अब मुस्लिम औरतें सुरक्षित हैं। कोई शौहर न तो तलाक की धमकी देगा और न ही तलाक देकर घर से निकालने की जुर्रत कर पाएगा।

बरेली से वर्ष 2016 से तीन तलाक पर रोक लगाने की आवाज उठ रही थी, जोकि मंगलवार को कानून बन गई। आला हजरत खानदान के शीरान रजा खां से तलाक का विवाद होने के बाद निदा खान तलाक के खिलाफ खड़ी हुई। इस पर पिछले साल 17 जुलाई को उन्हें एक फतवा जारी कर इस्लाम से खारिज कर दिया गया था।

दूसरी तरफ मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी तलाक भी तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाती जा रहीं थीं। पीड़िताओं को सामने लाकर उन्हें न्याय दिलाने की मुहिम छोड़ी। इन दोनों महिलाओं की आवाज देशभर में गूंजी।

निदा खान, अध्यक्ष आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी, बरेली- तीन तलाक कानून हमारी पीढ़ियों को सुरक्षित करेगा। अब कोई शौहर चाय में चीनी कम होने पर तलाक देने की जुर्रत नहीं जुटा पाएगा। तलाक के लिए संघर्ष करने वाली व पीड़िताओं को न्याय मिला है। सरकार और बिल को समर्थन करने वाले सांसदों का धन्यवाद। हमारे लिए यह जश्न का पल है। काश कानून पहले आता तो मझे तलाक देने का दावा करने वाले शीरान रजा को भी सजा कराती।

फरहत नकवी, अध्यक्ष मेरा हक फाउंडेशन- तलाक के लिए जान जोखिम में डालने आवाज उठाने वाली महिलाओं को सरकार ने न्याय दिया है। मुस्लिम महिलाएं सुरक्षित होंगी। उनका सम्मान बढ़ेगा। सजा के डर से कोई शौहर न तो तलाक की धमकी देगा और न ही तलाक देने का साहस जुटा पाएगा। संघर्ष करने वाली सभी पीड़िताओं को बधाई। आज का दिन महिलाओं के नया उजाला लेकर आया है। उनकी जिंदगी चमकेगी।

शबीना, तलाक पीड़िता, बरेली- तीन तलाक पर कानून बनने से महिलाओं का भविष्य सुरक्षित होगा। यह मुस्लिम महिलाओं को नहीं समानता का मुद्दा था। सरकार ने कानून बनाया। इसके लिए शुक्रिया। अब बेटियों की जिंदगी में बदलाव नजर आएगा। वह ताकतवर महसूस करेंगी।

शबाना, तलाक पीड़िता, बरेली- तीन तलाक पर सजा जरूरी थी। क्योंकि बगैर सजा और कानून के पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। अब मर्द तलाक देने से पहले सजा के बारे में जरूर सोचेंगे। इससे घटनाएं रुकेंगी।

अर्शी, तलाक पीड़िता, बरेली- तीन तलाक एक घुटन थी, हर पल औरतें इसमें घुटती थीं। बात-बात पर मर्द तलाक की धमकी देते, उत्पीड़न करते। मजबूरी में औरत सब कुछ सहती रहती। अब ऐसा नहीं होगा। तलाक के कानून ने औरत को मजबूत बना दिया है।

मुफ्ती इंतेजार अहमद कादरी, अध्यक्ष राष्ट्रीय सुन्नी उलमा काउंसिल, बरेली- ट्रिपल तलाक का कानून शरीयत पर सीधा हमला है। तलाक जैसी गंदगी और सजा से बचने के लिए केवल जागरूकता का ही एक रास्ता है। मुसलमान अपने मसले घर में सुलझाएं। कोर्ट-कचहरी और पुलिस थानों से बचें। यही शरीयत का पैगाम है।

एक महिला यूजर ने लिखा, 'मोदी है तो मुमकिन है'।

एक अन्य यूजर ने लिखा, 'मुस्लिम महिलाओं को सही मायने में आजादी अब मिली है'।

वहीं, बिल के पास होने की खुशी में एक मुस्लिम महिला, जिसके नाम के आगे पाकिस्तान का झंड़ा लगा हुआ था। उन्होंने कहा, 'दोनों तरफ की महिलाएं मायने रखती हैं, भारत को इस फैसले के लिए बधाई'।

तीन तलाक बिल

  • इस बिल के अनुसार तत्काल तीन तलाक अपराध संज्ञेय यानी इसे पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब महिला खुद शिकायत करेगी।
  • इसके साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार रहेगा। पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है।
  • इस अध्यादेश के मुताबिक तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया। हालांकि, किसी संभावित दुरुपयोग को देखते हुए विधेयक में अगस्त 2018 में संशोधन कर दिए गए थे।
  • इस बिल में मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रॉनिक (एसएमएस, ईमेल, वॉट्सऐप) को अमान्य करार दिया गया और ऐसा करने वाले पति को तीन साल की सजा का प्रावधान जोड़ा गया।

बिल में यह भी है प्रावधान

  • मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा।
  • पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।
  • पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है, महिला को कितनी रकम दी जाए यह जज तय करेंगे।
  • पीड़ित महिला के नाबालिग बच्चे किसके पास रहेंगे इसका फैसला भी मजिस्ट्रेट ही करेगा।

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