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    ठाकरे ब्रदर्स का गठबंधन: बीएमसी चुनाव में नया समीकरण, कांग्रेस ने MVA से दूरी बनाई

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 10:54 PM (IST)

    महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। करीब दो दशक बाद अलग हुए चचेरे भाई उद्धवठाकरे (शिवसेना यूबीटी) और राज ठाकरे (एमएनएस) बृहन् ...और पढ़ें

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    ठाकरे ब्रदर्स का गठबंधन, कांग्रेस ने MVA से दूरी बनाई (फोटो- एक्स)

    डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। करीब दो दशक बाद अलग हुए चचेरे भाई उद्धव ठाकरे (शिवसेना यूबीटी) और राज ठाकरे (एमएनएस) बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव के लिए एकजुट हो रहे हैं। यह गठबंधन मराठी वोटों को एकत्र करने और ठाकरे परिवार की राजनीतिक विरासत को बचाने की रणनीति का हिस्सा है।

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    हालांकि, इसकी वजह से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में दरार पड़ गई है, क्योंकि कांग्रेस ने राज ठाकरे की विचारधारा का विरोध करते हुए अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

    संजय राउत ने संकेत दिया है कि गठबंधन की औपचारिक घोषणा जल्द हो सकती है। राहुल गांधी से फोन पर हुई बातचीत के 24 घंटे से भी कम समय बाद संजय राउत ने पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस के साथ आगे कोई चर्चा नहीं होगी।

    उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) बीएमसी चुनाव में गठबंधन करने जा रही हैं। शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बताया कि सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है और दोनों ठाकरे भाई जल्द संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा करेंगे।

    राउत ने कहा कि यह गठबंधन "मनोमिलन" है और दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि यह जोड़ी बीएमसी में 100 से ज्यादा सीटें जीतेगी।

    दूसरी ओर, कांग्रेस ने राज ठाकरे के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए एमवीए से मुंबई नगर निगम चुनाव के लिए दूरी बना ली है। कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने स्पष्ट किया कि वे भाषा और धर्म के आधार पर विवाद पैदा करने वालों से दूरी बनाए रखेंगे।

    कांग्रेस अब शरद पवार गुट की एनसीपी से बात कर रही है और अकेले या अन्य विकल्पों के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है। यह फैसला एमवीए के लिए झटका है, क्योंकि पहले प्रयास किए गए थे कि विपक्ष एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़े।

    यह गठबंधन ठाकरे परिवार के लिए अस्तित्व की लड़ाई है, क्योंकि बीएमसी शिवसेना की पारंपरिक मजबूती रही है। एमएनएस से दक्षिणपंथी मराठी वोट मिलने की उम्मीद है, लेकिन कांग्रेस के अलग होने से मुस्लिम वोटों पर असर पड़ सकता है। बीएमसी चुनाव जनवरी 2026 में होने हैं और यह मुंबई की सत्ता व ठाकरे विरासत का बड़ा इम्तिहान होगा।