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    आम चुनाव तक मिल सकती है ई-वोटिंग सुविधा, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने दिए संकेत, कही यह बात

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sat, 27 Mar 2021 12:41 AM (IST)

    मुख्य निर्वाचन आयोग वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनाव में ई-वोटिंग कराने की तैयारी में है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग अब आइआइटी मद्रास के साथ मिलकर ब्लॉकचेन तकनीक से ई-वोटिंग के लिए व्यवस्था बना रहा है।

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    भारत का मुख्य चुनाव आयोग वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनाव में ई-वोटिंग कराने की तैयारी में है।

    हैदराबाद, पीटीआइ। भारत का मुख्य चुनाव आयोग वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनाव में ई-वोटिंग कराने की तैयारी में है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) ने कहा, 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' कराने की इच्छा है। इसलिए चुनाव आयोग अब आइआइटी मद्रास के साथ मिलकर ब्लॉकचेन तकनीक से ई-वोटिंग के लिए व्यवस्था बना रहा है। लेकिन इसे हासिल करने के लिए कई कानूनों में संशोधन करने के साथ ही राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी जरूरत पड़ेगी।

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    सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस अकादमी आइपीएस प्रशिक्षकों को संबोधित करते हुए शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) ने बताया कि एप आधारित ई-वोटिंग के जरिये नागरिकों को कहीं से भी वोट डालने में सुविधा होगी। उन्होंने (Sunil Arora) कहा कि वह चेन्नई स्थित आइआइटी-मद्रास और कई प्रख्यात विज्ञानियों के साथ मिलकर ई-वोटिंग की तकनीक पर काम कर रहे हैं। हम एक ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट कर रहे हैं।

    मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) ने कहा कि हमें उम्मीद है कि 2024 के लोकसभा चुनावों तक आप लोग देखेंगे कि ई-वोटिंग से लेकर चुनाव आयोग के कामकाज में मूलभूत बदलाव आ जाएगा। अरोड़ा एप आधारित ई-वोटिंग को लेकर चुनाव आयोग की तैयारियों पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। सुनील अरोड़ा ने बताया कि चुनाव आयोग अब चुनाव सुधार के कदम के तौर पर वोटर आइडी कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने पर भी काम कर रहा है।

    मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा (Sunil Arora) ने यह भी कहा कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लक्ष्य को साधने के संबंध में इस व्यापक बदलाव के लिए कई कानूनों में संशोधन के साथ ही राजनीतिक सहमति भी जरूरी होगी। उन्होंने एनपीए के उस कदम का स्वागत किया जिसके तहत ट्रेनी आइपीएस अफसरों को पश्चिम बंगाल, असम, केरल और तमिलनाडु जैसे चुनावी राज्यों में तैनात किया जाएगा। ताकि वह जमीनी आधार पर चुनावी प्रक्रिया को समझ सकें।