Move to Jagran APP

सपा विधायक का मायावती पर गंभीर आरोप, ...तो बसपा को मिलता जीरो और सपा को 25 सीटें

समाजवादी पार्टी के विधायक हरिअोम यादव ने मायावती पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि यूपी में गठबंधन नहीं हुआ होता तो मायावती को जीरो औऱ समाजवादी पार्टी को 25 सीटे मिलती।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 08:53 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 08:51 AM (IST)
सपा विधायक का मायावती पर गंभीर आरोप, ...तो बसपा को मिलता जीरो और सपा को 25 सीटें
सपा विधायक का मायावती पर गंभीर आरोप, ...तो बसपा को मिलता जीरो और सपा को 25 सीटें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में एकतरफा बाजी मारने की मंशा से उत्तर प्रदेश में जातिगत गोलबंदी के लिए गठित सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन पर संकट के बादल छाने लगे हैं। बसपा प्रमुख मायावती के तल्ख बयानों के बाद गठबंधन टूट की कगार पर पहुंच गया है। गठबंधन के बिखरने का एलान राज्य में उपचुनावों की घोषणा के साथ हो सकता है।

loksabha election banner

वहीं समाजवादी पार्टी के विधायक हरिअोम यादव ने मायावती पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि यूपी में गठबंधन नहीं हुआ होता तो मायावती को जीरो औऱ समाजवादी पार्टी को 25 सीटे मिलती। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में यादवों को वोट बसपा को ट्रांसफर हो गया लेकिन बसपा का वोट भाजपा को ट्रांसफर हुआ।

मायावती सोमवार को यहां उत्तर प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ लोकसभा चुनाव की समीक्षा कर रही थीं। बसपा सुप्रीमो ने गठबंधन के प्रदर्शन को बेहद खराब करार देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ अन्य प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में भी यह गठजोड़ नाकाम साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि बसपा आगे के चुनावों में किसी पार्टी का सहयोग नहीं लेगी, बल्कि अपने संगठन के बल पर चुनाव में उतरेगी। अब उसका पूरा जोर पार्टी संगठन को मजबूत बनाने पर होगा।

मायावती ने अपने पदाधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों से कहा कि वे पार्टी संगठन में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को शामिल करने पर जोर दें ताकि आने वाले चुनावों में पार्टी का आधार सुदृढ़ हो सके। लोकसभा चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में मायावती ने कहा कि आमतौर पर बसपा उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती, लेकिन इस बार वह इन उपचुनावों में अपने प्रत्याशी उतारेगी।

राज्य की 11 विधानसभा क्षेत्रों के विधायक चुनाव जीतकर संसद पहुंच गए हैं। इनमें से नौ भाजपा के और एक-एक सपा और बसपा के हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे गठबंधन के भरोसे जीत की उम्मीद न करें, बल्कि पार्टी संगठन की मजबूती पर ध्यान दें और अपनी पार्टी के बूते विधानसभा उपचुनावों को जीतने की रणनीति तैयार करें। उपचुनाव के लिए पार्टी के मजबूत संगठन पर भरोसा रखें और किसी (गठबंधन) से उम्मीद न करें।

बसपा प्रमुख ने दो टूक कहा कि हमारे 10 सांसदों की जीत पार्टी के परंपरागत वोट बैंक के भरोसे हुई है। गठबंधन के सहयोगी दल सपा पर तोहमत लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने वोट बैंक (यादव) को हमारे प्रत्याशियों के पक्ष में ट्रांसफर कराने में विफल रही।

लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा और रालोद के बीच हुए गठबंधन को राज्य की 50 सीटें जीत लेने का अनुमान था। यह अनुमान विशुद्ध जातिगत समीकरणों के आधार पर लगाया गया था। लेकिन चुनाव में सपा को पांच सीटों पर संतोष करना पड़ा।

पार्टी प्रमुख अखिलेश की पत्नी डिंपल, भाई धर्मेद्र व अक्षय प्रताप चुनाव हार गए। वहीं, बसपा जो 2014 के लोकसभा चुनाव में शून्य पर पहुंच गई थी, उसे 10 सीटें मिल गईं। चुनाव नतीजों के बाद दोनों दलों के बीच वोट ट्रांसफर नहीं होने की शिकायतें तो मिल रही थीं, लेकिन इतनी जल्दी खटास इस हद तक बढ़ जाएगी, इसका अनुमान किसी को नहीं था।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.