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    'मैडम अभी व्यस्त हैं', जब सोनिया गांधी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को घंटे भर कराया था इंतजार; आत्मकथा में किया खुलासा

    By Agency Edited By: Sachin Pandey
    Updated: Sun, 01 Dec 2024 04:25 PM (IST)

    पूर्व केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला की आत्मकथा इन परस्यूट ऑफ डेमोक्रेसी बियॉन्ड पार्टी लाइन्स हाल ही में जारी हुई है। इसमें उन्होंने कई अहम वाकयों का खुलासा किया है। ऐसी ही एक घटना के बारे में उन्होंने किताब में लिखा है जब सोनिया गांधी ने उन्हें फोन में घंटे भर इंतजार कराया था और इसके बाद भी बात नहीं की थी। पढ़ें क्या थी पूरी घटना।

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    नजमा ने अपनी आत्मकथा इन परस्यूट ऑफ डेमोक्रेसी: बियॉन्ड पार्टी लाइन्स में घटना का खुलासा किया है। (File Image)

    पीटीआई, नई दिल्ली। नजमा हेपतुल्ला ने 1999 में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की अध्यक्ष चुने जाने के बाद यह खबर देने के लिए तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को बर्लिन से फोन किया था, लेकिन उन्हें एक घंटे तक फोन लाइन पर रहना पड़ा, क्योंकि एक कर्मचारी ने उन्हें बताया कि मैडम व्यस्त हैं। राज्यसभा की पूर्व उपसभापति नजमा ने हाल ही में जारी आत्मकथा "इन परस्यूट ऑफ डेमोक्रेसी: बियॉन्ड पार्टी लाइन्स" में इस घटना का खुलासा किया है।

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    गौरतलब है कि उन्होंने सोनिया गांधी के साथ कथित मतभेदों के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी और 2004 में भाजपा में शामिल हो गई थीं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार नजमा अपनी किताब में लिखती हैं कि आईपीयू की अध्यक्षता एक ऐतिहासिक और एक बड़ा सम्मान था, जो भारतीय संसद से विश्व संसदीय मंच तक की उनकी यात्रा का शिखर था। सबसे पहले, उन्होंने बर्लिन से प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया और उन्होंने तुरंत उनका फोन उठाया।

    'खुश हुए थे अटल बिहारी वाजपेयी'

    उन्होंने कहा, 'जब उन्होंने (अटल बिहारी वाजपेयी ने) यह समाचार सुना तो वे बहुत खुश हुए। पहला तो इसलिए कि यह सम्मान भारत को मिला था और दूसरा इसलिए कि यह सम्मान एक भारतीय मुस्लिम महिला को मिला था। उन्होंने कहा आप वापस आएं और हम जश्न मनाएंगे। मैं उपराष्ट्रपति कार्यालय से भी तुरंत संपर्क कर सकती थी।'

    हालांकि, जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष और उनकी नेता सोनिया गांधी को फोन किया तो उनके एक कर्मचारी ने पहले कहा, 'मैडम व्यस्त हैं।' जब उन्होंने बताया कि वह बर्लिन से अंतर्राष्ट्रीय कॉल कर रही हैं तो कर्मचारी ने बस इतना कहा, 'कृपया लाइन होल्ड करें।' वह कहती हैं कि उन्होंने पूरे एक घंटे तक इंतजार किया, लेकिन सोनिया उनसे बात करने के लिए कभी लाइन पर नहीं आईं।

    सोनिया ने दिया था अपना आशीर्वाद: नजमा

    हेपतुल्ला कहती हैं कि वे वास्तव में निराश थीं। मणिपुर की पूर्व राज्यपाल रहीं नजमा हेपतुल्ला अपनी किताब में लिखती हैं, 'उस कॉल के बाद, मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया। आईपीयू अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाने से पहले, मैंने उनकी अनुमति ली थी और उस समय उन्होंने अपना आशीर्वाद दिया था। हर देश, संस्कृति और परिवार के अपने खास पल होते हैं। घटनाएं इतनी महत्वपूर्ण और किसी तरह इतनी व्यक्तिगत होती हैं कि वे दैनिक जीवन से परे होती हैं। तो यह मेरे लिए ऐसा ही एक पल था। समय का एक ऐसा पल जो इतना महत्वपूर्ण था कि इसने मेरे मन में हमेशा के लिए अस्वीकृति की भावना पैदा कर दी।'

    उन्होंने लिखा, 'हालांकि, यह एक ऐसी अस्वीकृति थी, जो दूरदर्शी साबित हुई। इसने कांग्रेस में संक्रमण, पतन और संकट के समय की भविष्यवाणी की, जिसने पार्टी के पुराने और अनुभवी सदस्यों को, जिन्होंने पार्टी के लिए अपना सब कुछ दिया था, उन्हें और हतोत्साहित कर दिया। अनुभवहीन चाटुकारों की एक नई मंडली ने पार्टी के मामलों को चलाना शुरू कर दिया।'

    वाजपेयी सरकार ने बढ़ा दी थी रैंक

    2014 की नरेंद्र मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के लिए केंद्रीय मंत्री बनाई गईं हेपतुल्ला कहती हैं कि आईपीयू अध्यक्ष बनने के बाद, वाजपेयी सरकार ने उनके कार्यालय की रैंकिंग को राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री में अपग्रेड कर दिया। वह लिखती हैं, 'अटलजी ने आईपीयू अध्यक्ष को आईपीयू परिषद द्वारा भुगतान नहीं किए जाने वाले देशों की यात्रा के लिए बजट में 1 करोड़ आवंटित किए।'

    रूपा द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है, 'यह वसुंधरा राजे ही थीं, जिन्होंने मुझे और अन्य सांसदों को आईपीयू अध्यक्ष के रूप में मेरे निर्वाचन का जश्न मनाने के लिए संसदीय एनेक्स में आमंत्रित किया था, जहां हम आम तौर पर अपने सभी संसदीय स्वागत समारोह आयोजित करते हैं।' हेपतुल्ला लिखती हैं, 'अगले वर्ष, जब मैंने सोनिया गांधी को न्यूयॉर्क में पीठासीन अधिकारियों के मिलेनियम सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया तो उन्होंने अंतिम क्षण में इसमें भाग लेने से मना कर दिया।'