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    सेंगोल पर विपक्ष और भाजपा के बीच खिंची तलवारें, सपा सांसद ने क्यों की संसद से हटाने की मांग?

    Updated: Fri, 28 Jun 2024 06:00 AM (IST)

    राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान सेंगोल (पवित्र छड़ी) के प्रदर्शन पर गुरुवार को विपक्षी दलों ने एतराज जताया और कहा है कि यह राजशाही का प्रतीक है। ऐसे में इसे हटाकर उसकी जगह संविधान की प्रति लगाई जाए। सेंगोल के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ चुका है। भाजपा का कहना है कि विपक्ष भारतीय और तमिल संस्कृति का आदर नहीं करते हैं।

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    सेंगोल को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव।(फोटो सोर्स: जागरण)

    जेएनएन, नई दिल्ली। संसद में सेंगोल के प्रदर्शन पर सपा, कांग्रेस, राजद समेत कई विपक्षी दलों ने कड़ा एतराज जताते हुए इसे सेंगोल बनाम संविधान की लड़ाई बना दिया और राजतंत्र का प्रतीक करार दिया। जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने समूचे राजग ने इस मामले में विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए कहा कि सपा और अन्य विपक्षी दल भारतीय और तमिल संस्कृति का सम्मान नहीं करते हैं।

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    राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान सेंगोल (पवित्र छड़ी) के प्रदर्शन पर गुरुवार को विपक्षी दलों ने एतराज जताया और कहा है कि यह राजशाही का प्रतीक है। ऐसे में इसे हटाकर उसकी जगह संविधान की प्रति लगाई जाए। इस मुद्दे को सपा सांसद आरके चौधरी ने सबसे पहले उठाया और इसे लेकर लोकसभा अध्यक्ष को एक चिट्ठी भी लिखी।

    सेंगोल को संसद से हटाने की बात कर रहा विपक्ष

    आरके चौधरी ने संसद में सेंगोल की मौजूदगी को राजतंत्र का प्रतीक बताया। क्या अब देश संविधान से नहीं चलेगा, क्या यह अब राजदंड या 'राजा के डंडे' से चलेगा। हालांकि इसके बाद राजद सदस्य मीसा भारती ने भी उनकी मांग का समर्थन किया और कहा कि इसे बिल्कुल हटाया जाना चाहिए।

    यह और बात है कि बाद में अखिलेश यादव ने अपनी ही पार्टी के चौधरी के बयान पर कुछ अलग तरीके से प्रतिक्रिया दी। और कहा कि सेंगोल के आगे प्रधानमंत्री मोदी ने शीश नवाए थे, लेकिन शपथ ग्रहण के समय प्रणाम नहीं किया। लगता है चौधरी भी प्रधानमंत्री को इसी बात की याद दिला रहे थे।

    भाजपा नेता ने किया पलटवार

    वहीं, कांग्रेस सदस्य माणिक टैगोर ने भी चौधरी की बातों का समर्थन करते हुए सरकार के संसद के विशेष सत्र में 'नाटक' करने की आलोचना की है। वहीं, भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सेंगोल पर सपा के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि वह भारतीय और तमिल संस्कृति का आदर नहीं करते हैं। सेंगोल का संसद में विरोध कर सपा उसे राजा का दंड बता रही है। अगर ऐसा है तो जवाहर लाल नेहरु ने इसे स्वीकार क्यों किया था।

    रवि किशन ने विपक्ष पर साधा निशाना 

    पहले विपक्षी दल रामचरितमानस पर प्रहार करते हैं और अब सेंगोल पर कर रहे हैं। क्या द्रमुक भी इस अपमान का समर्थन करता है। उन्हें इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए। भाजपा सदस्य रविकिशन ने सपा सांसद की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्ष ऐसा रवैया भगवान राम का स्थान छीनने के लिए अपना रहा है। वह भगवान राम का स्थान हड़पना चाहते हैं इसीलिए एक दिन पहले अपने सांसद की तुलना उन्होंने भगवान राम से की थी।

    केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने सेंगोल की स्थापना पर कहा कि प्रधानमंत्री ने जो भी किया वह सही है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने चौधरी के बयान पर कहा कि उनका निर्वाचन विकास के लिए हुआ या बांटने वाली राजनीति करने के लिए हुआ है। सेंगोल जैसे प्रतीक का दशकों से निरादर हो रहा है। अब प्रधानमंत्री ने उसे यथोचित सम्मान दिया है।

    सपा नेताओं की टिप्पणी उनकी अज्ञानता को दर्शाती : योगी

    सेंगोल पर समाजवादी पार्टी के नेताओं की टिप्पणी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करारा प्रहार किया है। गुरुवार को एक्स पर योगी ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'समाजवादी पार्टी के मन में भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति कोई सम्मान नहीं है। सेंगोल पर उनके शीर्ष नेताओं की टिप्पणियां निंदनीय हैं। यह उनकी अज्ञानता को दर्शाती है।

    यह विशेष रूप से तमिल संस्कृति के प्रति विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए की नफरत को भी दर्शाता है। सेंगोल भारत का गौरव है। यह सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया।' बता दें कि समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने विगत दिनों प्रोटेम स्पीकर को पत्र लिखकर सेंगोल के खिलाफ टिप्पणी की थी।

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