Look East Policy : विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले, 'एक्ट ईस्ट' और 'नेबर हुड फर्स्ट' नीतियों के होंगे दूरगामी प्रभाव
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आसियान देशों और उससे आगे तक पहुंच में सुधार के लिए बांग्लादेश नेपाल भूटान और म्यांमार के साथ संपर्क बढ़ाकर इस दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक साकार किया जा सकता है ।
गुवाहाटी, प्रेट्र। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि 'एक्ट ईस्ट' और 'नेबरहुड फर्स्ट' यानी पड़ोस प्रथम नीतियों के एक साथ आने से भारत के लिए दक्षिण पूर्व एशिया की सीमाओं से परे भी व्यापक प्रभाव होगा। विदेश मंत्री जयशंकर यहां 'नेचुरल अलाइज इन डेवलपमेंट एंड इंटरडिपेंडेंस' सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इसका अहसास बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में बिम्सटेक की क्षमता से स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा कि म्यांमार के जरिये भूमि संपर्क और बांग्लादेश के रास्ते समुद्री संपर्क वियतनाम और फिलीपींस के लिए सभी रास्ते खोल देगा।
जयशंकर ने कहा, 'एक बार जब यह व्यावसायिक स्तर पर व्यवहार्य हो जाएगा तो यह महाद्वीप के लिए व्यापक परिणामों के साथ एक पूर्व-पश्चिम पहलू का निर्माण करेगा।'
उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ आसियान देशों और जापान के साथ साझेदारी का निर्माण करेगा, बल्कि यह निर्माणाधीन हिंद प्रशांत आर्थिक ढांचे में भी वास्तविक फर्क लाएगा।
जयशंकर ने कहा कि अगर हम राजनीति और अर्थनीति को सही कर सके तो निश्चित रूप से हम भौगोलिक स्थिति पर पार लेंगे और नया इतिहास लिखेंगे। उन्होंने कहा कि आसियान देशों और उससे आगे तक पहुंच में सुधार के लिए बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ संपर्क बढ़ाकर इस दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक साकार किया जा सकता है।
क्या है 'एक्ट ईस्ट' नीति?
यह 'लुक ईस्ट' नीति का ही बदला रूप है, जिसे मोदी सरकार ने नवंबर 2014 में घोषित किया था। इसका उद्देश्य विभिन्न स्तरों पर विशाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना है। इसके तहत लोगों-से-लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया जाता है। यह मुख्य रूप से आसियान देशों के आर्थिक एकीकरण और पूर्वी एशियाई देशों के साथ सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है।
क्या है 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति?
'नेबरहुड फर्स्ट' यानी पड़ोस पहले की इस नीति से आशय अपने पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने से हैं। यह भारत की साफ्ट पावर नीति का ही एक हिस्सा है। इसके तहत सीमाई क्षेत्रों में विकास, बेहतर संपर्क और सांस्कृतिक विकास और लोगों के बीच आपसी संपर्क को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 2018 में यह नीति लागू की गई।
क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था का केंद्र बन सकते हैं पूर्वोत्तर के राज्य
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्य पड़ोसी देशों को शामिल करते हुए क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था का केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर के राज्यों और पड़ोसी देशों के बीच बेहतर संपर्क स्थापित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बेहतर संपर्क से इन राज्यों में व्यवसाय बढ़ेगा और लोगों का जीवन आसान बनेगा।