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    RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले, नौकरी और जमीन जाने का कश्मीरियों का डर दूर किया जाना चाहिए

    By TaniskEdited By:
    Updated: Tue, 24 Sep 2019 08:38 PM (IST)

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज 30 देशों के विदेशी पत्रकारों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने उनसे संघ के विजन को उनसे साझा किया। ...और पढ़ें

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    RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले, नौकरी और जमीन जाने का कश्मीरियों का डर दूर किया जाना चाहिए

    नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद राज्य के लोगों के मन में नौकरियां और जमीन जाने का जो डर पैदा हो गया है उसे दूर किया जाना चाहिए। भागवत ने राय व्यक्त की कि इस अनुच्छेद को हटाए जाने से कश्मीरियों के बाकी देश के साथ एकीकरण में मदद मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक विदेश मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए भागवत ने कहा कि कश्मीरी पहले अलग-थलग थे, लेकिन अब अनुच्छेद 370 को लेकर जो बड़ा फैसला किया गया है उसके बाद वे अवरोध हट गए हैं जो उनके और बाकी देश के बीच बने हुए थे।

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    आरएसएस ने कहा है कि भागवत और विदेश मीडिया के प्रतिनिधियों की बातचीत उस सतत प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके तहत संघ प्रमुख समाज के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ रचनात्मक बातचीत करते हैं। बताया जा रहा है कि विदेशी मीडिया के साथ बातचीत के क्रम में उनसे कश्मीरियों की इस आशंका के बारे में पूछा गया कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद बाहरी लोगों के राज्य में जमीन खरीदने का रास्ता खुल गया है जिससे उन्हें अपनी जमीन गंवानी पड़ सकती है। इस पर संघ प्रमुख ने कहा, अगर कश्मीरियों के मन में रोजगार के अवसरों और अपनी जमीन गंवाने का कोई डर है तो उसे दूर किया जाना चाहिए।

    एनआरसी किसी को निकालने के लिए नहीं

    असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर भागवत ने कहा, यह कवायद लोगों को देश से बाहर निकालने के लिए नहीं है, बल्कि नागरिकों की पहचान के लिए है। सूत्रों ने उनके हवाले से बताया कि दुनिया में भारत के अलावा हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं है।

    समलैंगिकों को बराबर समझा जाए

    समलैंगिकता के बारे में पूछे जाने पर भागवत ने कहा, यह विषमता नहीं, बल्कि परिवर्तन है। समलैंगिकता के सवाल पर संघ का नजरिया समय के साथ बदलता रहा है। भागवत ने कहा, समलैंगिकों को बराबर समझा जाना चाहिए और समाज के साथ उनका एकीकरण होना चाहिए।

    स्वयंसेवक रोकें हिंसा की घटनाएं

    मॉब लिंचिंग (उन्मादी भीड़ की हिंसा) के मुद्दे पर भागवत ने कहा, संघ हर तरह की हिंसा का निंदा करता है। स्वयंसेवकों को इस तरह की घटनाएं रोकने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा, अगर कोई स्वयंसेवक इसका दोषी पाया जाता है तो उसके लिए संघ में कोई जगह नहीं है। कानून को अपना काम करना चाहिए।

    कोई नीतिगत पंगुता नहीं

    भागवत ने विदेशी मीडिया के प्रतिनिधियों से यह भी कहा कि उनका संगठन कभी भी राजनीतिक इकाई नहीं बनेगा। उन्होंने कहा, हमारा हिंदुत्व विभिन्नता में एकता वाला है। देश में आर्थिक सुस्ती के सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा, सरकार के स्तर पर कोई नीतिगत पंगुता नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा, आरएसएस अर्थव्यवस्था का विशेषज्ञ नहीं है।

    भागवत और विदेश पत्रकारों की मुलाकात करीब ढाई घंटे तक चली, जिसमें 50 संगठनों के 80 पत्रकार शामिल हुए। इस दौरान सवाल-जवाब के सत्र हुए। संवाद में आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी, सह-सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य, डॉ. कृष्ण गोपाल, उत्तर क्षेत्र संघचालक बजरंगलाल गुप्त और दिल्ली प्रांत के संघचालक कुलभूषण आहूजा भी उपस्थित थे।

    संघ का देश में प्रभाव बढ़ा

    केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा 27 सितंबर 1925 में को नागपुर में स्थापित संघ का विचार पूरे समाज को संगठित करने और हिंदू धर्म की रक्षा सुनिश्चित करने के माध्यम से देश को गौरव के शिखर तक ले जाना है।संघ भारत की प्रगति और वैश्विक शांति के लिए समर्पित एक सामाजिक संगठन है। संघ के विकास और उसके बढ़ते प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब देश के सभी शीर्ष संवैधानिक पद स्वयंसेवकों के पास हैं।