Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rajya Sabha Elections: कांग्रेस के लिए बड़ी परीक्षा हैं राज्‍य सभा चुनाव; राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र में क्रास वोटिंग से बिगड़ सकता है खेल

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Fri, 10 Jun 2022 01:04 AM (IST)

    इस बार राज्यसभा चुनाव कांग्रेस के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं हैं। इन चुनावों में हरियाणा और राजस्थान समेत चार राज्यों में मैदान में उतरे अतिरिक्त उम्मीदवारों ने कांग्रेस की नींद उड़ा रखी है। जानें कांग्रेस के सामने क्‍या हैं चुनौतियां...

    Hero Image
    कांग्रेस के लिए राज्यसभा के चुनाव पिछले कुछ वर्षों के दौरान सियासी मुसीबत का सबब साबित होता रहा है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस के लिए राज्यसभा चुनाव पिछले कुछ वर्षों के दौरान सियासी मुसीबत का सबब साबित होता रहा है। इस बार भी पार्टी के लिए अपनी पक्की सीट जीतना भी बेहद चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है। शुक्रवार को होने वाले राज्यसभा चुनाव में हरियाणा और राजस्थान समेत चार राज्यों में मैदान में उतरे अतिरिक्त उम्मीदवारों ने कांग्रेस के रणनीतिकारों की नींद उड़ा रखी है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा जैसे राज्यों में पिछले राज्यसभा चुनावों में अपनी सीट गंवाने वाली कांग्रेस के लिए हरियाणा और राजस्थान के राज्यसभा सीटों के चुनाव बेहद अहम हो गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मध्‍य प्रदेश में पार्टी भुगत चुकी है खामियाजा

    संगठनात्मक ढांचे से लेकर नेतृत्व की दुविधा से जुड़ी चुनौतियों के बीच राज्यसभा की अपनी पक्की सीट हासिल कर लेना ही इस समय कांग्रेस के लिए बड़ी सियासी राहत की बात होगी क्योंकि पिछले कुछ सालों में कई मौकों पर भाजपा की चुनावी प्रबंधन के मुकाबले मात खा चुकी है। अभी मध्य प्रदेश में दो साल पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पार्टी के विधायकों की बगावत के चलते कांग्रेस को सूबे में न केवल अपनी सरकार गंवानी पड़ी बल्कि राज्यसभा की उसकी एक पक्की सीट भी छिन गई।

    चंद्रा ने उड़ाई कांग्रेस की नींद

    इसी तरह 2016 में हरियाणा में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार वरिष्ठ वकील आरके आनंद को भाजपा समर्थित उम्मीदवार और एक टीवी चैनल समूह के मालिक सुभाष चंद्रा के सामने अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि तब कांग्रेस के 14 विधायकों के वोट इस आधार पर रद कर दिए गए कि उन्होंने गलत पेन का इस्तेमाल किया। अब उसी सुभाष चंद्रा ने एक बार फिर भाजपा के समर्थन से राजस्थान में पांचवे उम्मीदवार के रूप में उतर कर कांग्रेस की नींद उड़ा दी है।

    विधायकों की अंदरूनी नाराजगी पर चंद्रा की नजर

    मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गुटों में बंटे राजस्थान कांग्रेस के विधायकों की अंदरूनी नाराजगी पर चंद्रा की नजर है। लेकिन एक ओर जहां गहलोत अपनी सियासी साख को दांव पर नहीं लगाने के लिए कमर कस चुके हैं तो दूसरी तरफ सचिन पायलट भी मैदान में उतरे हाईकमान के तीनों उम्मीदवारों की जीत में उनके गुट से कोई चूक न हो इसकी कसरत में लगे हैं।

    राजस्‍थान और हरियाणा में बिगड़ सकता है खेल

    राजस्थान और हरियाणा के राज्यसभा चुनावों में आंकड़ों का गणित इतना नजदीक है कि दो-तीन विधायकों का इधर से उधर होना पार्टी का खेल बिगाड़ सकता है। हरियाणा में भाजपा की एक सीट पर जीत जहां पक्की है वहीं कांग्रेस भी अंदरूनी असंतोष को थाम ले और विधायक एकजुट होकर अजय माकन के पक्ष में वोट दें तो कोई उलट फेर नहीं होगा। लेकिन कुलदीप विश्नोई समेत अन्य एक-दो विधायकों की नाराजगी पार्टी की ¨चता का सबब है और ऐसा हुआ तो फिर दूसरी प्राथमिकता के वोटों के आधार पर हार-जीत तय होगी। यह नौबत आयी तो फिर माकन की चुनौती बढ़ जाएगी।

    कर्नाटक में चौथी सीट पर कांटे की टक्कर

    कर्नाटक में भाजपा की दो और कांग्रेस उम्मीदवार जयराम रमेश की एक सीट पर जीत तो तय है। मगर चौथी सीट पर मुकाबला कांटे का है जिसके लिए कांग्रेस, जदएस के अलावा भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं और ऐसे में पार्टी के लिए अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताना बेहद मुश्किल है।

    महाराष्‍ट्र में भी बड़ी चुनौती

    महाराष्ट्र में भी कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के सामने अपने चौथे उम्मीदवार को जिताने की चुनौती बड़ी है। क्रास वोटिंग की आशंकाओं के साथ एनसीपी के दो विधायकों नवाब मलिक और अनिल देशमुख के जेल में होने की वजह से अभी उनके वोट करने की तस्वीर साफ नहीं हुई है। जाहिर है कि इन चार राज्यों के राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के सामने अहमद पटेल का इतिहास दोहराने की बड़ी चुनौती है क्योंकि ऐसे कांटे के मुकाबले में भाजपा को मात देने में वे ही कामयाब रहे थे। 2017 में गुजरात के राज्यसभा चुनाव में दिवंगत अहमद पटेल बड़ी और जुझारू लड़ाई के बाद जीत पाए थे।