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    'अत्याचार हो रहा है तो खुलकर बोले पार्टी नेता', CWC की बैठक में राहुल गांधी ने ऐसा क्यों कहा?

    कांग्रेस अधिवेशन के पहले दिन हुई विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी समेत कांग्रेस के दिग्गज नेता शामिल हुए। राहुल गांधी ने कहा कि ओबीसी की आबादी करीब 50 प्रतिशत दलित-आदिवासी 22 प्रतिशत अल्पसंख्यक करीब 15 प्रतिशत हैं और ऐसे में ओबीसी एससी-एसटी-अल्पसंख्यकों की अनदेखी कर देश नहीं चलाया जा सकता। इसलिए दलित अल्पसंख्यक पर अत्याचार हो रहा है तो खुलकर पार्टी नेताओं को बोलना होगा।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Tue, 08 Apr 2025 11:29 PM (IST)
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    कांग्रेस अधिवेशन के पहले दिन कांग्रेस नेताओं की विस्तारित बैठक हुई।(फोटो सोर्स: पीटीआई)

    जय मिश्र अहमदाबाद। कांग्रेस अधिवेशन के पहले दिन हुई विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में वैचारिक दुविधा खत्म करने का एलान करने के साथ ही पार्टी ने अहम राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक मुद्दों पर अपने नेताओं का नजरिया साफ करने के लिए इनसे जुड़े प्रमुख विषयों पर अपने चिंतन दृष्टि के मसौदे को मंजूरी दे दी।

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    लोकतंत्र-संविधान पर गहराती चुनौतियों, बढ़ती सामाजिक विषमता, महंगाई-बेरोजगारी की गंभीर स्थिति से लेकर डांवाडोल अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर पार्टी ने भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए बेबाकी से देश के सामने इन सवालों को उठाते रहने के इरादे साफ किए हैं।

    पार्टी ने पारस्परिक शुल्क लगाने की अमेरिकी जंग में भारत पर पड़ने वाले असर के बीच सरकार की चुप्पी को उसकी कमजोरी तथा समर्पण बताया है। वहीं, आरक्षण व्यवस्था को कमजोर करने से लेकर अल्पसंख्यक समुदायों को सत्ताधारी दल की ओर से निशाना बनाए जाने का पुरजोर विरोध करने की दृढ़ता जाहिर की गई है।

    सूत्रों के अनुसार लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अल्पसंख्यक समुदाय पर संघ-भाजपा के निशाने को लेकर कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस नेताओं की दुविधा दूर करने की कोशिश करते हुए साफ कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव-उत्पीड़न की घटनाओं को केवल अल्पसंख्यक कहनाभर ही काफी नहीं है।

    भेदभाव का जो भी निशाना बने, उसका जिक्र करने से न हिचकें: राहुल

    धार्मिक आधार पर उत्पीड़न की घटनाओं में शिकार हुए वर्ग का स्पष्ट उल्लेख करते हुए यह कहने से गुरेज नहीं करना चाहिए कि मुसलमानों, ईसाई या सिख समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

    सूत्रों के अनुसार भाजपा की धार्मिक ध्रुवीकरण आधारित राजनीति की चुनौतियों से निपटने की कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति किस तरह होनी चाहिए, इस परिपेक्ष्य में शशि थरूर समेत कार्यसमिति के कुछ सदस्यों के सवाल पर राहुल गांधी ने यह टिप्पणी की।

    राहुल ने पार्टी नेताओं को खुलकर इन मसलों पर बोलने का भी सुझाव दिया। साथ ही सामाजिक समीकरण की वास्तविकताओं का आंकड़ा रखते हुए वर्तमान राजनीति तथा सत्ता में अगड़े समुदाय के प्रभुत्व का उल्लेख किया।

    राहुल ने कहा कि ओबीसी की आबादी करीब 50 प्रतिशत, दलित-आदिवासी 22 प्रतिशत, अल्पसंख्यक करीब 15 प्रतिशत तथा अगड़े 10-12 प्रतिशत हैं और ऐसे में ओबीसी, एससी-एसटी-अल्पसंख्यकों की अनदेखी कर देश नहीं चलाया जा सकता। इसलिए दलित, अल्पसंख्यक, वंचितों पर अत्याचार हो रहा है तो खुलकर पार्टी नेताओं को बोलना होगा।

    बहुलतावादी आस्था-विश्वास हमारी जीवन पद्धति: राहुल गांधी

    सूत्रों के अनुसार राजनीतिक प्रस्ताव में इस मसले पर पार्टीजनों की दुविधा खत्म करने के लिए राष्ट्रीयता की कांग्रेस की परिभाषा की व्याख्या की गई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रवाद बेशक देश की क्षेत्रीय अखंडता है, लेकिन सही अर्थों में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय तथा सशक्तीकरण के साथ भाईचारे तथा बंधुत्व की भावना भी इसमें शामिल है।

    हाशिए पर खड़े लोगों के उत्थान के साथ उदारवादी तथा बहुलतावादी आस्था-विश्वास हमारी जीवन पद्धति हैं। कांग्रेस के मुताबिक लोगों को एक-दूसरे से जोड़ना भी हमारे लिए राष्ट्रवाद का एक पहलू है। बलिदान और राष्ट्रीयता की विरासत कांग्रेस के खून से बनी है जो उसकी नसों में दौड़ती है।

    प्रस्ताव में सभी धर्म आस्था के लोगों के प्रति समान आदर रखने का संकल्प जताते हुए पार्टी का आरोप है कि भाजपा सरकार राजनीतिक लाभ तथा किसी भी कीमत पर सत्ता में बने रहने के लालच में राष्ट्रीय सौहार्द को ध्वस्त कर रही है।साबरमती आश्रम तट पर बुधवार को होने वाले बैठक के लिए तैयार राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे में भी इसका उल्लेख करते हुए भाजपा सरकार पर आरक्षण की व्यवस्था कमजोर करने का आरोप लगाया गया है।

    आरक्षण को कांग्रेस की देन बताते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र-राज्यों में 30 लाख सरकारी पद खाली हैं मगर इसमें भर्तियां नहीं की जा रही हैं। ठेके पर लोगों को रखकर ओबीसी तथा एसी-एसटी आरक्षण व्यवस्था पर आघात किया जा रहा है तो गिग वर्कस के अधिकारों की अनदेखी हो रही है।

    कार्यसमिति से मंजूर मसौदा प्रस्ताव में कांग्रेस ने खुद को देश के लोकतंत्र का अभिभावक तथा संविधान की रक्षक बताते हुए संविधान पर गहराते खतरों की चर्चा की है। चुनाव आयोग पर सरकार के नियंत्रण, सीबीआइ, आइटी, ईडी का इस्तेमाल, चुनावी बॉंड से जबरन चंदा वसूली जैसे मामलों का जिक्र कर भाजपा पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया है। भाजपा पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि 45 साल में पार्टी आज तक एक भी महिला को अपना अध्यक्ष नहीं बना सकी है। 

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