राहुल गांधी ने कहा- प्यार, भाईचारा व एकता का रास्ता दिखाने के लिए शुरू की यात्रा, लोगों की सुनता हूं समस्या
भारत जोड़ो यात्रा को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधई ने फतेहगढ़ साहिब में गुरुद्वारा व रोजा शरीफ में नतमस्तक हुए। उन्होंने कहा कि यात्रा में बोलने के लिए नहीं बल्कि लोगों की समस्याओं को सुनने आया हूं।
इन्द्रप्रीत सिंह, फतेहगढ़। साहिबश्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों के बलिदान की धरती फतेहगढ़ साहिब में गुरुद्वारा साहिब और रोजा शरीफ में नतमस्तक होने के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को पंजाब में भारत जोड़ो यात्रा शुरू कर दी। यहां से वह सरहिंद की दाना मंडी पहुंचे, जहां कहा कि मैं यात्रा में बोलने नहीं, बल्कि लोगों की समस्याओं को सुनने आया हूं। बेरोजगारों, महिलाओं, सफाई सेवकों सहित दुकानदारों व आम लोगों से मिलने का अवसर मिला और काफी कुछ सीखने को भी मिला है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा व आरएसएस देश को बांटने में लगे हैं। एक-दूसरे को जाति और भाषा के नाम पर लड़ा रहे हैं। देश में नफरत व हिंसा का माहौल बनाया जा रहा है। इसी के चलते हमने देश को प्यार, भाईचारा व एकता का रास्ता दिखाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है। उन्होंने कहा कि क्या हुआ अगर हम अब तक तीन हजार किलोमीटर पैदल चले हैं। पंजाब के किसान खेतों में काम करने, बीज खरीदने के लिए रोजाना पैदल चलते हैं। छोटे साहिबजादों के बलिदान की कथा सुनी राहुल ने सुबह सात बजे फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा साहिब में माथा टेका।
उस समय छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के बलिदान की कथा चल रही थी, जिसे राहुल ने पंद्रह मिनट बैठकर सुना। वह उस दीवार के दर्शन करने गए, जिसमें साहिबजादों को ¨जदा चुनवा दिया गया था। उन्होंने ठंडा बुर्ज के दर्शन भी किए जहां छोटे साहिबजादों व उनकी दादी माता गुजरी को रखा गया था। यहां से निकलकर वह पास ही बनी रोजा शरीफ दरगाह पर भी गए। यह वह नंगे पांव दिखे। यह स्थान शेख अहमद फारूकी सरहंदी को समर्पित है, जो 1563 से लेकर 1624 के बीच यहां रहे थे।
धुंध के कारण देरी से शुरू की यात्रा
डीजीपी गौरव यादव ने धुंध का हवाला देते हुए यात्रा एक घंटा देरी से शुरू करने का अनुरोध किया, जिसे राहुल गांधी ने मान लिया। पंजाब में राहुल की यात्रा को लेकर सुरक्षा के प्रबंध हरियाणा से कहीं ज्यादा दिखे। डीजीपी गौरव यादव खुद भी इस यात्रा की निगरानी कर रहे थे।
कांग्रेस ने पंजाब में प्रवेश से पहले उनकी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। राहुल करीब 13 किलोमीटर पैदल सफर तय करके मंडी गो¨बदगढ़ तक पहुंचे और औद्योगिक इकाइयों के मालिकों व पूर्व सैनिकों से मिले।इधर, विरोध भी शुरू.. लुधियाना में पोस्टर, सिख कत्लेआम पर मांगा जवाबपंजाब में राहुल गांधी की यात्रा का विरोध भी शुरू हो गया है। लुधियाना में कांग्रेस कार्यालय के पास गली में एक पोस्टर लगा था। इसमें लिखा.कांग्रेस और राहुल गांधी जवाब दो, 1947 में भारत तोड़ा, 20 लाख निर्दोष मारे गए, 1984 में सिख कत्लेआम में सैकड़ों निर्दोष मारे गए, कांग्रेस ने 1984 में समाज को तोड़ने का काम किया। हाथ से ¨हदी में लिखे इस पोस्टर को पुलिस ने हटा दिया।
गांधी परिवार ने रची देश तोड़ने की साजिश
एसजीपीसीएसजीपीसी महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि राहुल गांधी पंजाब में किस मुंह से यात्रा लेकर घुसे हैं। गांधी परिवार ने ही देश तोड़ने की साजिश रची। इनके पूर्वजों ने दिल्ली दंगों में केसरी दस्तार सजाए सिखों को मौत के घाट उतारा था। अब राहुल अपने सिर पर केसरी दस्तार सजाकर क्या साबित करना चाहते हैं। एसजीपीसी ने एक दिन पहले दरबार साहिब पहुंचे राहुल गांधी को सिरोपा नहीं पहनाया, जो सम्मान का प्रतीक माना जाता है। उनके साथ एसजीपीसी का कोई पदाधिकारी भी नहीं था। आपरेशन ब्लू स्टार के बाद से गांधी परिवार को श्री दरबार साहिब में सम्मान नहीं दिया जाता है।
श्री दरबार साहिब पर हमले व सिख कत्लेआम को लेकर राहुल गांधी पर उठाए गए सवाल
शिअद-भाजपा ने कहा, पहले सिखों से माफी मांगेंशिअद व भाजपा ने बुधवार को फिर दोहराया कि राहुल यात्रा से पहले सिख कत्लेआम व श्री अकाल तख्त साहिब पर हमले के लिए माफी मांगें। शिअद के महासचिव परमबंस ¨सह रोमाणा ने कहा कि जिस गांधी परिवार व कांग्रेस पार्टी ने पंजाब व सिख समुदाय को भारत से तोड़ने की कोशिश की थी, अब भारत जोड़ो की बात कर रहे हैं। राहुल बताएं कि क्या उन्होंने श्री दरबार साहिब पर हमले व सिख कत्लेआम के लिए माफी मांगी, जिसका आदेश उनकी दादी इंदिरा गांधी ने दिया था।
भाजपा महासचिव तरुण चुग ने कहा कि राहुल पहले सिख कत्लेआम व कांग्रेस के पापों के लिए माफी मांगें। दिल्ली को गलियों के सरेआम सिखों के गले में टायर डाले गए व गुरुद्वारों को जलाया गया। जलाने वाले अब भी कांग्रेस में हैं, लेकिन माफी नहीं मांगी गई।
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