'MNS और शिंदे गुट की तुलना गलत', प्रियंका चतुर्वेदी ने डिप्टी सीएम पर कसा तंज; कहा- 'जब कुणाल कामरा ने मजाक किया तो...'
राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने MNS कार्यकर्ताओं की कार्रवाई की तुलना शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ की हरकत से करने को गलत बताया। उन्होंने कहा कि चुने हुए नेताओं से ज्यादा जिम्मेदारी की उम्मीद होती है। प्रियंका ने एकनाथ शिंदे गुट के विधायक द्वारा कैंटीन कर्मचारी के साथ मारपीट की घटना की आलोचना की और कहा कि ऐसे मामले बार-बार हो रहे हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद और शिवसेना (UBT) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने एक बड़ी बयान दिया है। उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और उनके दल के पूर्व सांसद की कार्रवाई की तुलना शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ की हरकत से करने को गलत बताया है।
एनडीटीवी से बातचीत करते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि जनता द्वारा चुने गए नेताओं से ज्यादा जिम्मेदारी और समझदारी की उम्मीद की जाती है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट के विधायक द्वारा कैंटीन कर्मचारी के साथ मारपीट करने की घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
कुणाल कामरा का दिया उदाहरण
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "जो व्यक्ति कैंटीन कर्मचारी को पीट रहा है, वह महाराष्ट्र का चुना हुआ विधायक है। उसे जिम्मेदारी और परिपक्वता दिखानी चाहिए थी।"
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर मजाक किया था, तब उनके समर्थकों ने स्टूडियों को तोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले शिंदे गुट में बार-बार देखे जा रहे हैं।
प्रियंका चतुर्वेदी ने MNS कार्यकर्ताओं द्वारा एक दुकानदार पर हमला करने के मामले में कहा कि वह भाषा नहीं बल्कि असम्मान को लेकर था। इस मामले में कानून ने काम किया और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। जमानती धाराएं लगने के बाद वे जमानत पर छूटे हैं।
प्रियंका चतुर्वेदी का आरोप
इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक संजय गायकवाड़ के खिलाफ कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई और न ही उनके खिलाफ कोई बोल रहा है। प्रियंका ने कहा, "मैं किसी को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही हूं, सिर्फ फर्क समझा रही हूं।"
पूर्व सांसद राजन विचारे के ऑफिस में कथित तौर पर व्यापारियों को थप्पड़ मारने की घटना पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इसका भाषा से कोई लेना-देना नहीं थी। उन्होंने कहा कि मामला एक शिवसेना कार्यकर्ता से जुड़ा था जिसे मोबाइल कनेक्शन मांगने पर पीटा गया। विचारे ने दोषियों को ऑफिस बुलाकर कारण पूछा, लेकिन स्थिति बिड़ गई।
भाषा विवाद पर क्या कहा?
राज्यसभा सांसद ने बताया कि हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर इसलिए आए क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने एक जीआर (सरकारी आदेश) के तहत पहली कक्षा से ही हिन्दी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया था। इस पर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी।
उन्होंने कहा, "हम हिन्दी के खिलाफ नहीं है। मुंबई में हिन्दी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री है और राज्य में एक करोड़ से ज्यादा हिन्दीभाषी लोग रहते हैं। लेकिन भाषा को थोपना सही नहीं है।"
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।