Presidential Election 2022: जानिए सबसे अधिक और सबसे कम वोट अंतर से जीतने वाले राष्ट्रपति
देश की जनता को आज 15वां राष्ट्रपति मिल जाएगा। सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से द्रौपदी मुर्मु और यशवत सिन्हा चुनावी मैदान में हैं। आजादी के बाद पिछले सभी ...और पढ़ें

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। देश की जनता को आज 15वां राष्ट्रपति मिल जाएगा। सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से द्रौपदी मुर्मु और यशवत सिन्हा चुनावी मैदान में हैं। राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए देश भर के योग्य 770 सांसद और 4025 विधायक 18 जुलाई को मतदान कर चुके हैं। वोटों की गिनती गुरुवार को हो रही है। नया राष्ट्रपति 25 जुलाई तक राष्ट्रपति भवन में होगा।
आजादी के बाद पिछले सभी राष्ट्रपति चुनावों में सबसे अधिक और सबसे कम वोट अंतर से जीतने वाले राष्ट्रपति पर एक नजर डालते हैं।
सबसे अधिक अंतर वाला चुनाव
1957 : भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद दूसरे कार्यकाल के लिए मैदान में थे। उनके खिलाफ चौधरी हरि राम और नागेंद्र नारायण दास थे। राजेंद्र प्रसाद को 4,59,698 मत मिले, जबकि दास और राम संयुक्त रूप से 5,000 से भी अधिक मत प्राप्त करने में विफल रहे।
1962 : डा एस राधाकृष्णन, चौधरी हरि राम और यमुना प्रसाद त्रिसूलिया राजेंद्र प्रसाद की जगह लेने के लिए मैदान में थे। डा राधाकृष्णन को 5,53,067 वोट मिले, जबकि अन्य दोनों उम्मीदवारों को मिलाकर केवल 10,000 वोट मिले।
1977 : इसे तकनीकी रूप से चुनाव नहीं माना जा सकता लेकिन यह सबसे सर्वसम्मत था। फरवरी 1977 में फखरुद्दीन अली अहमद की आकस्मिक मृत्यु के बाद राष्ट्रपति चुनाव में कुल 37 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया। जांच करने पर रिटर्निंग ऑफिसर ने उनमें से 36 को खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध चुना गया।
1997 : केआर नारायणन टीएन शेषन के खिलाफ भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। नारायणन को 9,56,290 वोट और शेषन को 50,631 वोट मिले।
2002 : मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम चुनावों में सबसे पसंदीदा थे। उन्हें लक्ष्मी सहगल को मिले 1,07,366 के मुकाबले 9,22,884 वोट मिले।
सबसे कम अंतर वाला चुनाव
1967 : मैदान में 17 उम्मीदवारों में से नौ को शून्य वोट मिले। जाकिर हुसैन 4,71,244 मतों के साथ विजयी हुए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कोटा सुब्बाराव को 3,63,971 मत मिले।
1969 : मई 1969 में निवर्तमान राष्ट्रपति डा. जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण चुनाव आवश्यक हो गए, जिसके बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया। चुनावों से पहले अति नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम ने कांग्रेस में एक एतिहासिक विभाजन हो गया। क्योंकि इंदिरा गांधी नीलम संजीव रेड्डी का समर्थन करने के लिए अनिच्छुक थीं, जो सिंडिकेट गुट के पसंद थे। चुनाव में दूसरी तरफ वीवी गिरि मैदान में थे। गिरि बनाम रेड्डी की लड़ाई में कांग्रेस का समर्थन गिरि को प्राप्त था। गिरि ने अंततः 4,20,277 मतों के साथ चुनाव जीता, जबकि रेड्डी को 4,05,427 मत मिले।

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