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    गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों में मिलेगी अब उम्र की भी छूट, जल्द हो सकता है फैसला

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sat, 08 Feb 2020 01:10 AM (IST)

    सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण के बाद अब सरकारी नौकरियों में उम्र की भी छूट मिल सकती है।

    गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों में मिलेगी अब उम्र की भी छूट, जल्द हो सकता है फैसला

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण के बाद अब सरकारी नौकरियों में उम्र की भी छूट मिल सकती है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कार्मिक मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है। इसके तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों को भी एससी- एसटी और ओबीसी वर्ग की तरह सरकारी नौकरियों में उम्र की छूट देने का प्रस्ताव है। हालांकि यह कितनी होगी, यह निर्णय कार्मिक मंत्रालय पर छोड़ा गया है। माना जा रहा है कि इसे लेकर जल्द ही फैसला लिया जा सकता है।

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    राज्यसभा में भी उठा मुद्दा, अभी सिर्फ एससी-एसटी और ओबीसी को ही उम्र में है छूट

    इस बीच शुक्रवार को राज्यसभा में भी यह मुद्दा उठा है। भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने इसे उठाते हुए सरकार से जल्द इस पर फैसला करने की मांग की। साथ ही कहा कि सरकार ने जिस तरह से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से इन पिछड़ों को आरक्षण देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया है, उसका लाभ तभी मिल सकेगा, जब उन्हें सरकारी नौकरियों में उम्र की भी छूट मिलेगी। उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत से इस पर जल्द फैसला लेने की मांग की।

    अलग-अलग वर्गों को भर्ती में मिलती है छूट

    मंत्रालय के मुताबिक मौजूदा समय में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के आधार पर जिन्हें उम्र की छूट है, उनमें एससी-एसटी को पांच साल की और ओबीसी को तीन साल की छूट है। इसके तहत सरकारी नौकरियों में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम उम्र की सीमा जहां 32 साल की है, वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 35 वर्ष और अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 37 वर्ष तय है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इसे लेकर तेजी से काम चल रहा है, क्योंकि अगले महीने तक संघ लोक सेवा आयोग सहित अलग-अलग भर्ती बोर्ड की ओर से बड़ी संख्या में वेकैंसी आने वाली है। बता दें कि सरकार ने पिछले साल फरवरी में संविधान संशोधन के जरिए सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को दस फीसद आरक्षण देने का फैसला लिया था।