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    'नेहरू की भूमिका पर एक दिन चर्चा ही करा ले सरकार', अमित शाह की टिप्पणी पर अधीर रंजन चौधरी का पलटवार

    By Jagran NewsEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Thu, 07 Dec 2023 04:00 AM (IST)

    फारूक नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष और श्रीनगर से लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला ने भी बुधवार को भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों को नजरअंदाज करना उसकी प्रवृत्ति है। फारूक ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा नेहरू के साथ उसके (भाजपा के) हमेशा मतभेद रहे हैं और वह उनके काम को कभी स्वीकार नहीं करेगी। यह राजनीति है।

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    अमित शाह की टिप्पणी पर अधीर रंजन चौधरी का पलटवार (file photo)

    पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को आरोप लगाया कि जब कश्मीर मुद्दे की बात आती है, तो भाजपा नेता अनावश्यक रूप से जवाहरलाल नेहरू की आलोचना करते हैं। उन्होंने सरकार को इस मुद्दे को लेकर भारत के पहले प्रधानमंत्री की भूमिका पर विशेष रूप से एक दिन चर्चा ही करा लेने की चुनौती दी।

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    जम्मू-कश्मीर से जुड़े विधेयकों पर बहस में भाग लेते हुए चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता हमेशा दावा करते हैं कि पहले प्रधानमंत्री ''देश के लिए हानिकारक'' थे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि नेहरू देश के लिए ''हानिकारक'' थे। वह हमेशा पूछते हैं कि कश्मीर समस्या का मूल कारण क्या था और उस समय लोगों की भूमिका पर चर्चा की जानी चाहिए।

    शाह ने कहा, हमारी ओर से किसी ने भी यह नहीं कहा कि वह हानिकारक थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा बहस के लिए तैयार है। अधीर ने कहा कि कांग्रेस नेता इस तरह की आलोचना सुनकर थक गए हैं। हम मांग कर रहे हैं कि कश्मीर और नेहरू पर बहस होनी चाहिए।

    नेहरू को नजरअंदाज करना भाजपा की प्रवृत्ति 

    फारूक नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष और श्रीनगर से लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों को नजरअंदाज करना उसकी प्रवृत्ति है। फारूक ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, नेहरू के साथ उसके (भाजपा के) हमेशा मतभेद रहे हैं और वह उनके काम को कभी स्वीकार नहीं करेगी। यह राजनीति है।

    नेहरू द्वारा कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि उस समय स्थिति अलग थी। सेना को पुंछ और राजौरी में ले जाना पड़ा क्योंकि हमलावरों ने अराजकता पैदा कर दी थी।

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