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    फ्रांस में PM मोदी के इस कदम से गदगद हुए संजय राउत, प्रधानमंत्री की तारीफ में कही दी ये बात

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा पर हैं। आज वो अमेरिका के लिए रवाना हो जाएंगे। पीएम मोदी ने फ्रांसीसी शहर मार्सिले पहुंचकर उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर से जुड़े एक महत्वपूर्ण इतिहास को याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्सिले की यात्रा पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का उस स्थान पर जाना गलत नहीं है।

    By Piyush Kumar Edited By: Piyush Kumar Updated: Wed, 12 Feb 2025 11:45 AM (IST)
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    पीएम मोदी के मार्सेली यात्रा पर संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी है।(फोटो सोर्स: जागरण)

    एएनआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीन दिवसीय फ्रांस यात्रा पर थे। 11 फरवरी को फ्रांसीसी शहर मार्सिले पहुंचकर उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर से जुड़े एक महत्वपूर्ण इतिहास को याद किया।

    पीएम मोदी का मार्सिले जाना गलत नहीं: संजय राउत

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्सिले की यात्रा पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा,"प्रधानमंत्री का उस स्थान पर जाना गलत नहीं है जहां से वीर सावरकर बच निकले थे। यह हमारे लिए गर्व की बात है।"

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    वहीं, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव अवार्ड दिए जाने पर भी संजय राउत ने टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि आपको पता है कि यह अवार्ड उन्हें किसने दिया है। ऐसे अवार्ड खरीदे-जाते हैं या बेचे जाते हैं।

    'वीर सावरकर आज भी हमारी पीढ़ियों को प्रेरित कर रहे'

    मार्सेली को लेकर पीएम ने कहा,' मार्सेली का भारत की आजादी में खास महत्व है। वीर सावरकर ने यहीं से साहसिक पलायन का प्रयास किया था।'

    पीएम मोदी ने कहा,' मैं मार्सेली के लोगों और उस दौरान के फ्रांसीसी आंदोलकारियों का धन्यवाद करना चाहता हूं, जिन्होंने वीर सावरकर को ब्रिटिश अधिकारियों न  सौंपने की बात की थी। वीर सावरकर आज भी हमारी पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।'

    साल 1990 के दशक में सावरकर को ब्रिटिश अधिकारियों की ओर से एक राजनैतिक कैदी के रूप में लंदन से भारत ले जाया जा रहा था।  इस दौरान 8 जुलाई साल 1910 को उनका एस एस मोरिया जहाज फ्रांस स्थित मार्सेली के बंदरगाह पर पहुंचा।

    सावरकर ने इसे भागने का अवसर बनाया और फ्रांस में शरण लेने की आशा में एक पोर्टहोल के जरिए जहाज से बाहर निकलने की कोशिश की। हालांकि, फ्रांस के अधिकारियों ने उन्हें पकड़कर ब्रिटिश अधिकारियों के हवाले सौंप दिया।   

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