उपराष्ट्रपति चुनाव के पहले पीएम मोदी ने NDA में एकजुटता पर दिया जोर, विपक्ष की किस मांग को बताया राजनीतिक गलती
प्रधानमंत्री मोदी ने राजग संसदीय दल की बैठक में एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस की मांग को राजनीतिक भूल बताया और राहुल गांधी के बयानों को राष्ट्रविरोधी करार दिया। राजग के 28 सालों के सफर को सराहा गया जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के योगदान को याद किया गया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव और उपराष्ट्रपति चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजग के घटक दलों के बीच एकजुटता पर बल दिया। राजग संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बहस की मांग को कांग्रेस की राजनीतिक भूल बताया।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी के चीन संबंधी बयानों पर की गई टिप्पणी का उल्लेख करते हुए उन्हें कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी करार दिया। बैठक के पहले प्रधानमंत्री मोदी का ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए अभिनंदन किया गया।
बैठक में प्रस्ताव किए गए पारित
बैठक में ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव पर प्रस्ताव भी पारित किया गया। राजग सांसदों को संबोधित करते हुए राजग के 28 सालों के सफर को भारतीय राजनीति में अहम बताते हुए कहा कि इसने कई बड़े क्षेत्रीय नेताओं को राष्ट्रीय मंच प्रदान करने का काम किया है।
साथ ही कई राज्यों में क्षेत्रीय नेतृत्व भी प्रदान किया है। इस सिलसिले में उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी द्वारा जार्ज फर्नांडिस, बाला साहब ठाकरे और नीतीश कुमार को साथ लाने के प्रयासों को याद किया।
आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक संदेश देते हुए मोदी ने कहा कि राजग एकजुट गठबंधन है जो साझा लक्ष्यों के लिए काम करेगा।
इंडी गठबंधन की होगी बैठक
गुरूवार को I.N.D.I.A के घटक दलों की बैठक में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की साझा रणनीति पर फैसला होने की उम्मीद है और माना जा रहा है कि विपक्ष अपना उम्मीदवार मैदान में उतार सकता है। उसके ठीक पहले प्रधानमंत्री ने राजग के एकजुट होने और संख्या बल में विपक्ष में भारी होने का संदेश दे दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा को सरकार की पहली प्राथमिकता बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति को दोहराया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इसी नीति की परिणाम है, जिसमें पाकिस्तान के भीतर आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया गया।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बहस की मांग कर कांग्रेस ने भारी गलती की। संसद में बहस के दौरान तथ्यों और तर्कों को साथ सत्तापक्ष ने विपक्ष के सारे आरोपों को ध्वस्त कर दिया। इन्होंने कहा कि विपक्ष ने 'अपने पैर में पत्थर मारना' और 'आ बैल मुझे मार' की कहावत को चरितार्थ कर दिया।
अमित शाह का गृहमंत्री के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक में मौजूद गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह की जमकर तारीफ की। उन्होंने बताया कि अमित शाह आजादी के बाद सबसे लंबे समय काम करने वाले गृहमंत्री बन गए हैं।
अमित शाह ने मोदी के दूसरे कार्यकाल में 30 मई को गृहमंत्री बनाया गया था। इसके साथ ही वे देश के पहले सहकारिता मंत्री भी हैं। अमित शाह के कार्यकाल को अनुच्छेद 370 के निरस्त करने, नक्सलवाद को खत्म करने के कगार तक पहुंचाने, पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी गुटों को मुख्य धारा में जोड़कर शांति स्थापित करने और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए याद किया जाएगा।
आडवाणी ने कितने समय तक संभाला था पदभार
उन्होंने नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 31 मार्च 2026 की तारीख तय दी है। अमित शाह के पहले लालकृष्ण आडवाणी सबसे लंबे समय तक गृहमंत्री रहे थे। दरअसल अमित शाह का मंगलवार को गृहमंत्री के रूप में 2258 दिन पूरे हो गए।
जबकि वाजपेयी सरकार में लालकृष्ण आडवाणी 1998 से 2004 के बीच 2256 दिन गृहमंत्री रहे थे। वहीं लालकृष्ण आडवाणी के पहले यह रिकार्ड गोविंद बल्लभ पंत के नाम था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में गोविंद बल्लभ पंत 1955 से 1961 तक छह साल 56 दिनों तक गृहमंत्री रहे थे।
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