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    पीएम मोदी के गंगईकोंड चोलपुरम दौरे से बदल सकती है तमिलनाडु की राजनीतिक? बैकफुट पर स्टालिन सरकार

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 11:46 PM (IST)

    प्रधानमंत्री मोदी ने गंगईकोंड चोलपुरम के 1000 वर्ष पूरे होने पर एक सिक्का जारी किया जिससे तमिलनाडु की ऐतिहासिक विरासत को बढ़ावा मिला है। यह कदम चोल साम्राज्य की विरासत के माध्यम से तमिलनाडु की राजनीति को साधने और द्रविड़ राजनीति को पीछे धकेलने का प्रयास है। मुख्यमंत्री स्टालिन अब ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए मजबूर हैं।

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    चोल साम्राज्य की विरासत को बढ़ावा दे रहे पीएम मोदी (फाइल फोटो)

    नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। दो वर्ष पूर्व संसद में चोल साम्राज्य के धर्मदंड सेंगोल की स्थापना के जरिये मोदी सरकार ने दक्षिण और उत्तर भारत के बीच ऐतिहासिक कड़ी को जोड़ने का काम शुरू किया था।

    रविवार को चोल सम्राट राजेंद्र चोल-प्रथम द्वारा स्थापित राजधानी गंगईकोंड चोलपुरम के 1000 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सिक्का जारी कर इसे और आगे बढ़ाया। इसने तमिलनाडु की समृद्ध ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत को राजनीति के केंद्र में ला दिया है।

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    बैकफुट पर द्रविड़ राजनीति

    इसे चोल साम्राज्य की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत के सहारे तमिलनाडु की राजनीति को साधने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। साथ ही तमिलनाडु को सनातन से जोड़ने की कोशिश के रूप में भी। इसने सनातन के खिलाफ चलने वाली द्रविड़ राजनीति को बैकफुट पर ला दिया है।

    यही कारण है कि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन अब तक उपेक्षित गंगईकोंड चोलपुरम के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए खजाना खोलने पर मजबूर हो गए हैं।दरअसल आजादी के पहले से ही द्रविड़ संस्कृति को उत्तर भारत से अलग दिखाने का प्रयास किया जाता रहा है।

    कहां तक फैला था चोल साम्राज्य

    अनीश्वरवादी पेरियार की द्रविड़ राजनीति से प्रेरित डीएमके भी इसी दिशा में चलती रही है। इसीलिए शिव भक्त चोल राजाओं और उनकी ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैले चोल साम्राज्य की राजधानी गंगईकोंड चोलपुरम इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

    गंगईकोंड चोलपुरम की नींव राजेंद्र चोल-प्रथम की गंगा के मैदान तक की विजय के बाद रखी गई थी। वहां बड़ा तालाब बनाकर गंगा से लाया गया जल डाला गया था। गंगईकोंड चोलपुरम का अर्थ है ''गंगा को लाने वाले चोल राजा''।

    पीएम मोदी का दौरा कितना है खास

    जाहिर है कि यह उत्तर भारत और तमिलनाडु के साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को इसी स्थल से तमिलनाडु की जनता को स्पष्ट संदेश दिया है। प्रधानमंत्री के दौरे की घोषणा के बाद, तमिलनाडु के स्थानीय मीडिया में गंगईकोंड चोलपुरम की उपेक्षा और ऐतिहासिक स्थलों की जर्जर स्थिति की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित हुईं, जिससे यह जनता के बीच विमर्श का विषय बन गया।

    इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने गंगईकोंड चोलपुरम की ऐतिहासिक धरोहरों के जीर्णोद्धार के लिए करोड़ों रुपये देने की घोषणा की। इनमें 19.20 करोड़ रुपये उस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए दिए गए, जिसमें गंगा जल मिलाया गया था।

    तालाब से जुड़ी 38 किलोमीटर लंबी नहर के लिए 12 करोड़ और पूरे परिसर के पर्यटन स्थल के विकास के लिए 7.20 करोड़ रुपये की घोषणा की गई। हालांकि, तमिलनाडु के भाजपा नेता अन्नामलाई ने चोल साम्राज्य की पहली राजधानी तंजावुर में ऐतिहासिक स्थलों की बदहाली का हवाला देकर यह स्पष्ट किया कि स्टालिन की घोषणा केवल एक दिखावा है।

    किस कोशिश में जुटे पीएम मोदी

    प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से तमिलनाडु को भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ एकीकृत करने के प्रयास में जुटे हैं। इसके लिए काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसे कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं, ताकि आम लोगों के बीच दूरियों को कम किया जा सके। अग्रेंजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक सेंगोल को इलाहाबाद के नेहरू म्यूजियम से निकालकर संसद में स्थापित करने को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।

    ओम नम: शिवाय सुनकर खड़े हो जाते हैं रोंगटे- पीएम मोदी

    पीएम मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के अरियालुर जिले में गंगईकोंड चोलपुरम मंदिर का दौरा किया, यहां पर उन्होंने पूजा-अर्चना भी की। इसके बाद चोल सम्राट राजेंद्र चोल-प्रथम की जयंती पर आयाजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि इस ऐतिहासिक मंदिर में मैंने देशभर के 140 करोड़ लोगों की भलाई और देश की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की।

    उन्होंने कहा कि चोल राजाओं ने श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों के साथ अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया। चोल साम्राज्य का इतिहास और विरासत भारत की अपार क्षमता का प्रमाण है और देश की प्रगति के दृष्टिकोण के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

    पीएम मोदी ने कहा, "गंगईकोंड चोलपुरम मंदिर आस्था की भूमि है और इसने हम सभी को शिव भक्ति में लीन कर दिया है। मैं काशी से सांसद हूं। जब मैं ओम नम: शिवाय सुनता हूं, तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।" इस दौरान मोदी ने एक रोड शो भी किया और उन्होंने सड़क के दोनों ओर कतार में खड़े लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया।