'NDA के पास बहुमत है', जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर बोले किरेन रिजिजू
जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर किरेन रिजिजू ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि एनडीए के पास बहुमत है। जयराम रमेश ने रिजिजू के आरोप लगाते हुए कहा था कि वह राज्ससभा को चलने नहीं देना चाहते। आपको बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष के 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि इस प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद नहीं है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के फैसले पर अब राजनीतिक गहमागहमी भी शुरू हो गई है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा है कि 'बहुमत एनडीए के पास है। प्रस्ताव रद्द हो जाएगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह के एक्शन को स्वीकार न किया जाए।'
जयराम रमेश ने लगाए थे आरोप
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए किरेन रिजिजू पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था, 'दोनों सदन सरकार नहीं चलाना चाहती है। कल संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने खुद कहा था कि जब तक आप लोकसभा में अदाणी का मु्द्दा उठाते रहेंगे, हम राज्यसभा को चलने नहीं देंगे।'
जयराम रमेश ने कहा, 'मैंने पहली बार देखा कि इस तरह का बयान संसदीय कार्य मंत्री की तरफ से सभापति के सामने दिया गया। राज्यसभा में विपक्ष को नजरअंदाज किया जाता है।' जयराम रमेश ने कहा कि सरकार घबराई हुई है।
पहली बार सभापति के खिलाफ प्रस्ताव
आपको बता दें कि जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। यह पहला मौका हे, जब राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।
इसके पहले मानसून सत्र में भी धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विपक्षी दलों के बीच सहमति बनी थी, लेकिन बाद में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। संविधान के अनुच्छेद 67B में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र है।
अविश्वास प्रस्ताव की पहल कांग्रेस ने की। इसमें उसे टीएमसी, आम आदमी पार्टी, आरजेडी, जेएमएम और डीएमके के सांसदों का भी साथ मिला। हालांकि बीजू जनता दल ने इससे किनारा कर लिया है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष प्रतीकात्मक विरोध जताना चाहता है।
14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी
नियम के मुताबिक, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। ऐसे किसी प्रस्ताव को लाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है।
अगर ये प्रस्ताव राज्यसभा में बहुमत से पारित हो जाता है, तो इसे लोकसभा में भेजा जाता है। आंकड़ों को देखें, तो फिलहाल इस प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद नहीं है। राज्यसभा में विपक्ष के पास 103 सीटें हैं और प्रस्ताव को पारित कराने के लिए 126 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।
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