'राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को हटा सकते हैं?', बिल पर मचा घमासान; ओवैसी ने उठाए गंभीर सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में पेश किए गए बिलों पर सवाल उठाए हैं जिनमें प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने का प्रावधान है। उन्होंने पूछा कि क्या राष्ट्रपति वास्तव में प्रधानमंत्री से इस्तीफा ले सकते हैं जबकि संविधान के अनुसार वे मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही निर्णय लेते हैं। ओवैसी ने इस बिल को संविधान के खिलाफ बताया है और दुरुपयोग की आशंका जताई है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को संसद में पेश हालिया बिलों पर बड़ा सवाल उठाया है। इन बिलों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने का प्रावधान रखा गया है।
ओवैसी ने पूछा कि क्या वास्तव में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से इस्तीफा ले सकते हैं? उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति वही निर्णय लेते हैं जो मंत्रिपरिषद की सलाह से तय होता है। लेकिन इस प्रस्तावित बिल में लिखा है कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री रो हटा सकते हैं। उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ बताया है।
ओवैसी ने उठाए सवाल
ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा, "क्यो कोई राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को मजबूर कर सकता है कि वह इस्तीफा दें? संविधान में तो साफ लिखा है कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करेंगे।"
बता दें, यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है। इसमें उल्लेख है कि अगर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे शीर्ष नेता किसी गंभीर अपराध में फंस जाते हैं और लगातार 30 दिन हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
ओवैसी का आरोप
ओवैसी का कहना है कि इस प्रावधान का दुरुपयोग हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार चाह ले तो कुछ मंत्रियों को गिरफ्तार करक किसी राज्य सरकार को गिरा सकती है।
उन्होंने कहा, "अगर केंद्र ने किसी राज्य सरकार के चार-पांच मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया तो सरकार अपने-आप गिर जाएगा। फिर स्वतंत्रता कहां बचेगी? असल में पूरा नियंत्रण केंद्र के हाथ में आ जाएगा।"
पिछले हफ्ते जब संसद में यह बिल पेश किया गया था तब भी ओवैसी ने कड़ा विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि सरकार 'पुलिस स्टेट' बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा था कि यह बिल जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकार छीन लेगा और लोकतंत्र की बुनियाद को हिला देगा।
ओवैसी का तर्क
ओवैसी ने कहा कि यह कदम चुनी हुई सरकार पर प्रहार जैसा होगा। उनका तर्क था कि इस कानून से सत्ता के तीनों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्वतंत्रता कमजोर होगी और जनता के मतदान का महत्व भी घट जाएगा।
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