मणिपुर हिंसा पर मोहन भागवत के बयान से मची सियासी हलचल, कांग्रेस ने दे डाली पीएम मोदी को ये सलाह
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सलाह पर ध्यान देना चाहिए और मणिपुर का दौरा करना चाहिए जहां पिछले एक साल से हिंसा चल रही है।तेजस्वी यादव ने कहा कि भागवत ने अपनी चिंताओं को बहुत देर से व्यक्त किया और दावा किया कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर सहित हर संकट पर चुप्पी बनाए रखी है।
नई दिल्ली, पीटीआई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सलाह पर ध्यान देना चाहिए और मणिपुर का दौरा करना चाहिए, जहां पिछले एक साल से हिंसा चल रही है।
एक रोज पूर्व भागवत ने एक साल बाद भी मणिपुर में शांति बहाल नहीं होने पर चिंता जताई थी और कहा था कि संघर्ष से जूझ रहे राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री को मोहन भागवत की सलाह माननी चाहिए
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भागवत शायद पूर्व आरएसएस पदाधिकारी को पूर्वोत्तर राज्य जाने के लिए मना सकें, वहीं निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि विपक्ष की सलाह सुनना प्रधानमंत्री के डीएनए में नहीं है लेकिन उन्हें आरएसएस प्रमुख की बातों पर ध्यान देना चाहिए।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि भागवत ने अपनी चिंताओं को बहुत देर से व्यक्त किया है और दावा किया कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर सहित हर संकट पर चुप्पी बनाए रखी है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मोहन भागवत अपने अनुभव के आधार पर ऐसा कह रहे हैं। उन्हें जो अहंकार दिखाई दे रहा है, उसके बारे में ही कहा है।
भाजपा और आरएसएस के बीच मतभेद
एक साल बाद मणिपुर पर मोहन भागवत की टिप्पणी से पता चलता है कि भाजपा और आरएसएस के बीच मतभेद है। इसे भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उजागर किया था और अब यह भागवत के बयान से और स्पष्ट हो गया है। एनसीपी (शरद पवार) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि हम मणिपुर मुद्दे पर सरकार से महीनों से सवाल कर रहे हैं।
मणिपुर की स्थिति पर संसद में काफी चर्चा हुई। मणिपुर देश का अभिन्न अंग है। उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है? बता दें कि पिछले साल मई में मणिपुर में मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच ¨हसा भड़क उठी थी। तब से करीब 200 लोग मारे गए हैं, जबकि बड़े पैमाने पर आगजनी के बाद हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं।