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    PM-CM और मंत्रियों की गिरफ्तारी वाले विधेयक की जेपीसी का बहिष्कार करेगा विपक्ष, BJP के सामने क्या है चुनौती?

    विपक्ष प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद मंत्रियों को बर्खास्त करने वाले विधेयक पर जेपीसी के बहिष्कार की ओर बढ़ रहा है। तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के इनकार के बाद कांग्रेस भी शामिल नहीं होने पर विचार कर रही है। कांग्रेस विपक्षी एकता बनाए रखना चाहती है। सरकार ने मानसून सत्र में विधेयक को जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव पारित किया।

    By Sanjay Mishra Edited By: Prince Gourh Updated: Sun, 24 Aug 2025 08:00 PM (IST)
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    विधेयक पर विपक्ष का जेपीसी बहिष्कार (फाइल फोटो)

    संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों की गिरफ्तारी के 30 दिनों के बाद बर्खास्त किए जाने संबंधी विधेयक पर गठित होने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का समूचा विपक्ष बहिष्कार करने की दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है।

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    तृणमूल कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी के जेपीसी का हिस्सा बनने से स्पष्ट इनकार के बाद विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस ने भी संकेत दिए हैं कि वह इसमें शामिल नहीं के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है।

    कांग्रेस की रणनीति

    बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण, वोट चोरी विवाद से लेकर उपराष्ट्रपति चुनाव में आइएनडीआइए घटक दलों में बनी व्यापक सहमति को देखते हुए जेपीसी को लेकर कांग्रेस ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे विपक्षी एकजुटता पर किन्तु-परंतु का सवाल उठाने का मौका मिले।

    पुनरीक्षण मुद्दे पर विपक्ष के सियासी संग्राम को थामने के लिए सरकार ने मानसूत्र सत्र के आखिरी दो दिनों में सीएम-मंत्रियों की गिरफ्तारी संबंधी 130वां संविधान संशोधन विधेयक पेश कर इसे जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव भी पारित करा लिया। विपक्षी दल इसे उनके शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा मंत्रियों के खिलाफ ईडी-सीबीआई को कानूनी हथियार देने की साजिश बता रहे हैं।

    ममता ने विधेयक का किया विरोध

    पश्चिम बंगाल की फायर ब्रांड मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिना देरी किए विधेयक का मुखर विरोध करते हुए जेपीसी को तमाशा करार दिया। समाजवादी पार्टी ने भी इसी राह पर चलते हुए जेपीसी से किनारा करने की घोषणा कर दी। लोकसभा में सपा के 38 सदस्य तो टीएमसी का संख्या बल 29 का है। आइनडीआइए की लोकसभा में 232 की कुल संख्या में इन दोनों की 67 सांसदों की हिस्सेदारी को देखते हुए कांग्रेस के सामने जेपीसी या घटक दलों में से किसी एक को चुनने की दुविधा है।

    कांग्रेस के एक वरिष्ठ संसदीय रणनीतकार ने रविवार को अनौपचारिक बातचीत में कहा कि विपक्ष के सहयोगी दलो को साथ लेकर चलना हमारी प्राथमिकता है। टीएमसी तथा सपा के एलान के बाद स्वाभाविक रूप से जेपीसी का बहिष्कार करने के सवाल पर पार्टी में विचार मंथन चल रहा है और जरूर इसकी संभावनाएं पुख्ता संभावनाए हैं।

    अखिलेश ने ममता का किया समर्थन

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से परामर्श कर रहे और औपचारिक निर्णय की घोषणा में देर नहीं होगी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जेपीसी के बहिष्कार के टीएमसी के रूख का समर्थन करते हुए शनिवार को कहा था कि इस विधेयक का बुनियादी विचार ही गलत है।

    कोई भी किसी पर फर्जी केस डाल दे तो विधेयक का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। टीएमसी ने बकायदा अधिकारी बयान में विधेयक पर प्रस्तावित जेपीसी को एक मजाक करार देते हुए साफ कहा था कि पार्टी इसमें अपने सांसदों को नहीं नामित करेगी।

    आईएनडीआईए गठबंधन के अगुवा के तौर पर कांग्रेस जेपीसी बहिष्कार की घोषणा करती है तो मोदी सरकार के अब तक के कार्यकल में यह जेपीसी के विपक्ष की ओर से बहिष्कार का पहला मामला होगा।