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    मुंबई में सारे प्रश्नों के उत्तर तलाशेगा आइएनडीआइए गठबंधन, नेता से झंडे तक को मिलेगा आकार; बढ़ सकता है कुनबा!

    By Jagran NewsEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Tue, 29 Aug 2023 10:01 PM (IST)

    INDIA alliance Meeting चुनाव में जाने से पहले आइएनडीआइए गठबंधन अपने प्रतिद्वंद्वी एनडीए गठबंधन के उन सारे आरोपों का जवाब खोज लेना चाहती है जिनका नाम लेकर तंज कसा जाता है। विपक्ष पर अभी तक आरोप लगता रहा है कि उसके पास न तो नेता है न झंडा और न ही कार्यक्रम। मुंबई में सारे प्रश्नों के उत्तर तलाश लिए जाएंगे।

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    मुंबई में सारे प्रश्नों के उत्तर तलाशेगा आइएनडीआइए गठबंधन (फाइल फोटो)

    अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। चुनाव में जाने से पहले आइएनडीआइए गठबंधन अपने प्रतिद्वंद्वी एनडीए गठबंधन के उन सारे आरोपों का जवाब खोज लेना चाहती है, जिनका नाम लेकर तंज कसा जाता है। विपक्ष पर अभी तक आरोप लगता रहा है कि उसके पास न तो नेता है, न झंडा और न ही कार्यक्रम। मुंबई में सारे प्रश्नों के उत्तर तलाश लिए जाएंगे।

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    तिरंगा की तरह होगा झंडे का आकार-प्रकार और रंग-रूप

    अबतक की तैयारी के अनुसार, झंडे का आकार-प्रकार और रंग-रूप तिरंगा की तरह होगा, जिसके बीच में चक्र के स्थान पर विपक्षी एकता को प्रदर्शित करने वाला लोगो हो सकता है। I.N.D.I.A गठबंधन के नाम की तरह झंडे के स्वरूप को भी कांग्रेस के स्तर से तय किया जा रहा है। दूसरे दलों को सिर्फ संकेत दिया गया है। सूचना है कि कांग्रेस ने तिरंगा की शक्ल वाला झंडा तय करने के पहले संवैधानिक पक्षों को भी टटोल लिया है। कांग्रेस पहले भी ऐसा कर चुकी है।

    1977 के संसदीय चुनाव में गाय-बछड़ा था कांग्रेस का चुनाव चिह्न

    1977 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस का चुनाव चिह्न गाय-बछड़ा था। किंतु करारी हार के बाद कांग्रेस में विभाजन हुआ, जिसके चलते गाय-बछड़े के चिह्न को चुनाव आयोग ने जब्त कर लिया। बाद में देवराहा बाबा के आशीर्वाद से प्रेरित होकर इंदिरा गांधी ने पंजा चिह्न को अपना लिया, जिसके पा‌र्श्व में तिरंगा था। इसके विरोध में कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर की गई थीं, किंतु फैसला अंतत: इंदिरा कांग्रेस के पक्ष में ही आया था।

    चुनावी कार्यक्रम के स्वरूप भी तय होंगे

    आइएनडीआइए को सीट बंटवारे की चुनौती से भी निपटना है, किंतु इसके पहले चुनावी कार्यक्रम के स्वरूप को तय करना है। सितंबर के पहले या दूसरे हफ्ते से अलग-अलग राज्यों में जनसभाएं शुरू हो सकती हैं। इसके लिए झंडे की प्रमुख भूमिका होगी। जदयू के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि झंडे का इस्तेमाल विभिन्न दल अपने कार्यक्रमों में करेंगे। गाडि़यों में भी लगाए जा सकते हैं। इससे अलग-अलग दलों के कार्यकर्ताओं में समरसता पैदा होगी। एक ही झंडे के नीचे काम करने से अपनापा की भावना आ सकती है।

    बढ़ सकता है कुनबा

    आइएनडीआइए में अभी 26 दल शामिल हैं, लेकिन माना जा रहा कि कुनबा बड़ा हो सकता है। तीन-चार दलों के और जुड़ जाने से कुल संख्या 26 से बढ़कर 30 हो सकती है। मायावती के स्टैंड का भी इंतजार है। फारूख अब्दुल्ला ने समझाया है। किंतु अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है। हालांकि, महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के अलावा कुछ और दलों का इंतजार किया जा रहा है। केसी त्यागी ने दावा किया कि नीतीश कुमार के संपर्क में प्रकाश सिंह बादल भी हैं। ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी से भी उम्मीद है। 25 सितंबर को हिसार में फिर रैली प्रस्तावित है, जिसमें भाजपा विरोधी सारे दलों को आमंत्रित किया गया है।