राज्यसभा में विपक्ष ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
राज्यसभा में विपक्ष ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर चिंता व्यक्त की। विपक्ष ने चुनावी प्रक्र ...और पढ़ें

राज्यसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा। (फाइल)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को चुनाव सुधारों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए विपक्षी सदस्यों ने लोकतंत्र को ही खतरे में बता दिया। चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस सदस्य अजय माकन ने चुनावी प्रक्रिया में वित्तीय असमानता को सबसे बड़ा खतरा बताया और कहा कि 2004 से 2024 के बीच भाजपा का कोष 87 करोड़ से बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि कांग्रेस की जमा राशि 38 करोड़ से महज 134 करोड़ रुपये ही हुई।
उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी और आयकर विभाग का इस्तेमाल कांग्रेस को चुनावों से पहले धनविहीन करने के लिए किया गया और उद्योगपतियों को चंदा देने से रोका जा रहा है। माकन ने पूछा कि जब सत्तारूढ़ दल के पास विपक्ष से 75 गुना ज्यादा पैसा हो तो समान अवसर की बात कैसे की जा सकती है?
माकन ने कहा कि चुनाव के समय ही कांग्रेस के फंड को रोक दिया गया, इनकम टैक्स ने पैसा निकाल लिया और जब पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की तो कोई सुनवाई नहीं हुई। यह समान अवसर न देने का मामला है। जबकि चुनाव आयोह की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को व्यवस्थित तरीके से कमजोर कर दिया गया है।
माकन ने भी वही आरोप लगाए और मांगें रखी जो लोकसभा में राहुल गांधी ने रखी थी। माकन ने दावा किया कि आयोग मशीन-द्वारा पढ़े जा सकने वाली मतदाता सूची उपलब्ध नहीं कराता है। फर्जी आवेदनों की जांच कर रही एजेंसियों को आईपी एड्रेस और पोर्ट नंबर देने से इन्कार करता है तथा 45 दिन के भीतर कई महत्वपूर्ण डेटा नष्ट कर देता है।
उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि मतदान प्रतिशत नतीजों के दिन अचानक बढ़ गया, जबकि दो दिन पहले तक जारी आंकड़ों में इससे कम वोट दर्ज थे।
माकन ने पूछा कि सात प्रतिशत अतिरिक्त वोट कहां से आए?
आरोप लगाया कि आयोग इस पर कोई जवाब नहीं दे रहा है। माकन ने चेताया कि यदि अंपायर ही मैच फिक्स कर ले तो लोकतंत्र कैसे सुरक्षित रह सकता है?आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने भी आयोग और सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना नहीं, बल्कि वैध वोटरों को हटाना है। दावा किया कि बिहार में 65 लाख नाम हटाए गए, मगर उनमें से केवल 315 विदेशी नागरिक मिले।
संजय ने आरोप लगाया कि सरकार वर्षों से घुसपैठ का मुद्दा उछालती है, पर यह नहीं बताती कि कितने घुसपैठियों को पकड़ा या बाहर किया। वोट का अधिकार लाखों शहीदों की कुर्बानियों का परिणाम है और उसके साथ खिलवाड़ लोकतंत्र को कमजोर करेगा।
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने भी मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने पर चिंता जताई और कहा कि उनकी पार्टी सुधारों के खिलाफ नहीं, बल्कि दुरुपयोग के विरुद्ध है। डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने भी पारदर्शिता की जरूरत पर जोर दिया।

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