विपक्ष की 16 पार्टियों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, पहलगाम-ऑपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग
विपक्षी गठबंधन इंडिया की 16 पार्टियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। यह मांग पहलगाम आतंकी हमले ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पर हुई क्षति के मद्देनजर की गई है। विपक्ष चाहता है कि संसद में इन मुद्दों पर चर्चा हो और सरकार देश को स्थिति से अवगत कराए।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन की 16 पार्टियों ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के बीच अमेरिकी मध्यस्थता के दावे और पाकिस्तान की गोलीबारी में जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में हुई जान-माल की क्षति के घटनाक्रमों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाने की मांग की है।
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी तथा राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत 16 विपक्षी दलों के नेताओं ने विशेष सत्र बुलाने के लिए प्रधानमंत्री को साझा पत्र लिखा है जिसमें इन दलों के सभी सांसदों की ओर से भी इसका अनुरोध किया गया है।
पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई
- विपक्षी दलों ने कहा है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई और वैश्विक कूटनीतिक पहल में हमने सरकार का पूरा समर्थन किया है।
- सरकार विश्व के देशों तथा मीडिया को इसकी जानकारी दे रही मगर हमारी संसद, देश की जनता तथा उनके चुने हुए प्रतिनिधियों को अंधेरे में रखा जा रहा है।
- विशेष सत्र बुलाने की अलग-अलग आवाज उठाते रहे विपक्षी दलों ने अब एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रधानमंत्री को यह साझा पत्र भेजा है।
बैठक में कौन-कौन शामिल
प्रमुख विपक्षी पार्टियों के नेताओं की मंगलवार को एक बैठक हुई जिसमें कांग्रेस नेता जयराम रमेश, दीपेंद्र हुडडा, सपा के रामगोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, राजद सांसद मनोज झा के साथ शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत मौजूद थे।
आतंकवाद पर लगाम
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुडा ने सवाल उठाते हुए कहा कि आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान को हम दुनिया में अलग-थलग करने में क्या सफल हुए हैं और आईएमएफ के कर्ज जैसे आर्थिक मदद से क्या आतंकवाद पर लगाम लगेगा। सीमा पर आतंकवाद से निपटने की आगे की क्या रणनीति हो इन सवालों पर संसद में चर्चा कर संयुक्त रणनीति की जरूरत है।
पीएम को भेजा साझा पत्र
डेरेक ओब्रायन ने कहा कि विशेष सत्र की मांग का यह संयुक्त निर्णय केवल संसद में इन दलों के नेताओं का नहीं बल्कि इन सभी पार्टियों के अध्यक्षों द्वारा लिया गया है। पीएम को भेजे साझा पत्र पर दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, डीएमके के टीआर बालू, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत आदि के हस्ताक्षर हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसी) की सुप्रिया सूले के विदेश दौरे पर होने के कारण उनका हस्ताक्षर नहीं है और संजय राउत ने दावा किया कि शरद पवार हमारे साथ हैं। जयराम रमेश ने कहा कि संसद का एक विशेष सत्र हमारी सामूहिक इच्छाशक्ति और संकल्प का प्रदर्शन होगा। यह बहस निस्संदेह जिम्मेदारीपूर्ण और संतुलित होगी।
देश के सामने गंभीर सवाल: खरगे
बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अलग से सत्र की मांग करने के लिए पत्र लिखेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आतंकी हमले, पुंछ, ऊरी और राजौरी में नागरिकों की हत्या, युद्धविराम की घोषणाओं और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में देश के सामने गंभीर सवाल हैं।
विपक्ष ने भारत की स्थिति पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बातचीत करने के सरकार के प्रयासों का समर्थन किया है। सरकार ने संसद देश के नागरिकों और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को अंधेरे में रखा है मगर तमाम देशों और मीडिया को जानकारी दी है। इसलिए हम सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के लौटने पर तुरंत संसद का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह करते हैं।
जुलाई में ही मानसून सत्र
सरकार विशेष सत्र की जरूरत नहीं समझ रही है। एक महीने बाद जुलाई में ही मानसून सत्र होना है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर सर्वदलीय बैठक में जानकारी दी जा चुकी है। फिर भी विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा चाहता है तो मानसून सत्र में इस पर बहस हो सकती है। इसके के लिए अलग से सत्र की जरूरत नहीं है।
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