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    बिल को मंजूरी देने में राज्यपाल ले रहे ज्यादा समय? विपक्ष के दावे पर पीआरएस की रिपोर्ट में उठे सवाल

    Updated: Thu, 15 May 2025 11:50 PM (IST)

    पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में राज्यों के 60% विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी एक महीने के भीतर मिल गई। हिमाचल प्रदेश बंगाल और सिक्किम जैसे राज्यों में कुछ विधेयकों को मंजूरी मिलने में तीन महीने से अधिक का समय लगा। अरुणाचल प्रदेश बिहार मिजोरम और राजस्थान जैसे राज्यों में विधेयकों को तेजी से स्वीकृति मिली।

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    60 प्रतिशत विधेयकों को एक महीने के भीतर राज्यपाल से मंजूरी मिल गई थी (फाइल फोटो)

    जेएनएन, नई दिल्ली। राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर विचार के लिए ज्यादा समय लेने को लेकर किए जा रहे विपक्षी दलों के दावे खोखले नजर आ रहे हैं। थिंकटैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 में राज्यों में 60 प्रतिशत विधेयकों को एक महीने के भीतर राज्यपाल से मंजूरी मिल गई थी।

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    केवल 18 प्रतिशत विधेयकों को अंतिम मंजूरी मिलने में तीन महीने से अधिक का समय लगा था। जिन राज्यों में विधेयकों को स्वीकृत करने में तीन महीने से अधिक का समय लगा उनमें कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश, तृणमूल शासित बंगाल और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा शासित सिक्किम शामिल हैं।

    कहीं कम, तो कहीं ज्यादा लगा समय

    हिमाचल में 72 प्रतिशत पारित विधेयकों को मंजूरी देने में तीन महीने से ज्यादा का समय लगा। बंगाल में 38 प्रतिशत पारित विधेयकों को मंजूरी देने में ज्यादा समय लिया गया। सिक्किम में 56 प्रतिशत पारित विधेयकों को मंजूरी देने में ज्यादा समय लिया गया (इनमें अप्रैल, 2025 तक स्वीकृति का इंतजार कर रहे विधेयक शामिल हैं)।

    रिपोर्ट के अनुसार अरुणाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मिजोरम और राजस्थान जैसे राज्यों में सभी विधेयकों को एक महीने के भीतर मंजूरी मिल गई थी। वहीं सभी राज्यों में 60 प्रतिशत विधेयकों को राज्यपाल से मंजूरी मिलने में एक महीने से भी कम समय लगा था।

    रिपोर्ट में कुछ राज्यों में सत्र बुलाने और राज्यपाल के अभिभाषण को लेकर भी समस्याएं बताई गई हैं, क्योंकि विधानसभा सत्र राज्यपाल द्वारा सदन बुलाने से शुरू होता है और राज्यपाल द्वारा सत्रावसान करने पर समाप्त होता है। 2023 में, पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि राज्यपाल बजट सत्र नहीं बुला रहे हैं।

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