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Afghanistan Crisis: अफगान संकट के बीच रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मिले NSA डोभाल

Afghanistan Crisis एनएसए अजीत डोभाल ने आज दिल्ली में अपने रूसी समकक्ष से मिलेंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल(Ajit Doval) आज रूस के अपने समकक्ष निकोलाइ पेत्रुशेव से मुलाकात की। अफगानिस्तान में जारी संकट के बीच दोनों की मुलाकात।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 08:21 AM (IST)Updated: Wed, 08 Sep 2021 11:22 AM (IST)
Afghanistan Crisis: अफगान संकट के बीच रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मिले NSA डोभाल
रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से मिले अजीत डोभाल।(फोटो: एएनआइ)

नई दिल्ली, एजेंसियां। Afghanistan Crisis, अफगानिस्तान संकट के बीच देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने आज दिल्ली में रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(NSA) निकोलाई पेत्रुशेव से मुलाकात की। फिलहाल भारत और रूस के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई।अपने समकक्ष अजीत डोभाल के अलावा पत्रुशेव के विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।

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अजीत डोभाल ने पिछले महीने 31 अगस्त को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा के जिम्मेदार ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों की 11वीं बैठक की मेजबानी की थी। इस बैठक में उनके रूसी समकक्ष भी मौजूद रहे। उस बैठक में भारत ने सीमा पार आतंकवाद और समूहों की गतिविधियों का मुद्दा उठाया था। भारत ने कहा कि शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूह राज्य समर्थन का लाभ उठाते हैं।

दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर के अलावा वैश्विक भूराजनीतिक हालात पर भी चर्चा होने की संभावना। बीते 24 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच अफगानिस्तान पर वार्ता हुई थी। डोवाल और पेत्रुशेव की मुलाकात को शीर्ष नेताओं की वार्ता के अगले क्रम के रूप में देखा जा रहा है।

इससे पहले अप्रैल में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दिल्ली का दौरा किया था लेकिन प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं की थी। रूस सुरक्षा परिषद के सचिव जनरल निकोलाई पात्रुशेव भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निमंत्रण पर भारत आए हैं। साउथ ब्लॉक में इस यात्रा को मास्को से एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो तालिबान के सत्ता में आने और अमेरिका द्वारा अराजक निकास पूरा करने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है।


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