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    राष्ट्रीय फलक पर आने के लिए नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और केसीआर हुए सक्रिय

    By Jagran NewsEdited By: Arun kumar Singh
    Updated: Wed, 12 Oct 2022 09:05 PM (IST)

    National Politics नागालैंड में नीतीश कुमार और गुजरात में अरविंद केजरीवाल की सक्रियता वास्तव में अपने क्षेत्रीय दल के दायरे से बाहर आने और कांग्रेस के कमजोर पड़ने की स्थिति में राष्ट्रीय फलक पर छाने की व्याकुलता है।

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    नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल के चंद्रशेखर राव

    नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। नागालैंड में नीतीश कुमार और गुजरात में अरविंद केजरीवाल की सक्रियता वास्तव में अपने क्षेत्रीय दल के दायरे से बाहर आने और कांग्रेस के कमजोर पड़ने की स्थिति में राष्ट्रीय फलक पर छाने की व्याकुलता है। इसी उद्देश्य को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी अपनी पार्टी के नाम से तेलंगाना हटाकर भारत जोड़ा है। नीतीश कुमार के जदयू और अरविंद केजरीवाल की आप ने अपने आधार वाले राज्यों समेत तीन राज्यों में क्षेत्रीय दल की मान्यता प्राप्त कर ली है।

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    केसीआर का फोकस कर्नाटक और महाराष्ट्र पर

    केसीआर के नाम से मशहूर तेलंगाना के सीएम की कोशिश जारी है। वह कर्नाटक और महाराष्ट्र पर फोकस कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस से बराबर की दूरी बनाकर राष्ट्रीय राजनीति में आने की कोशिश कर रहे केसीआर की पार्टी का आधार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में है। तेलंगाना में उनकी सरकार है। राष्ट्रीय राजनीति की महत्वाकांक्षा में 21 वर्ष पुरानी अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर उन्होंने भारत राष्ट्र समिति कर दिया है। अब उनकी कर्नाटक पर नजर है। इसलिए केसीआर ने जनता दल (सेक्युलर) के एचडी कुमारास्वामी से गठबंधन की बात आगे बढ़ाई है।

    नागालैंड पर नीतीश कुमार का फोकस

    बिहार जदयू का आधार राज्य है, जहां नीतीश कुमार पिछले 17 वर्षों से सरकार में हैं। जदयू को बिहार के अतिरिक्त अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। मणिपुर में इसी वर्ष के विधानसभा चुनाव में उसे 10.77 प्रतिशत वोट मिले थे और छह विधायक जीतकर आए थे। हालांकि बाद में उसके पांच विधायक दल बदलकर भाजपा के साथ चले गए, लेकिन उसका क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार है। अरुणाचल प्रदेश में भी जदयू को 9.88 प्रतिशत वोट के साथ क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है।

    राष्ट्रीय पार्टी के दर्जा के लिए एक और राज्य की जरूरत है। इसके लिए जदयू ने नागालैंड पर फोकस बढ़ाया है, जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में 4.49 प्रतिशत वोट के साथ एक सीट पर सफलता मिली थी। दो दिन पहले ही नीतीश नागालैंड के दौरे पर भी थे। हालांकि इसके पहले जदयू ने दिल्ली, झारखंड, यूपी, गुजरात एवं पूर्वोत्तर के कई राज्यों में प्रयास किया, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है।

    केजरीवाल की नजर गुजरात पर

    आम आदमी पार्टी की दिल्ली और पंजाब में सरकार है। गोवा विधानसभा चुनाव में 39 सीटों पर लड़ते हुए आप को दो सीटों पर जीत के साथ 6.77 प्रतिशत वोट मिले थे। केजरीवाल ने अब गुजरात की ओर प्रस्थान किया है। अगर वहां भी छह प्रतिशत या उससे अधिक वोट मिल गए तो आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा। हालांकि केजरीवाल ने उत्तराखंड में भी प्रयास किया था, लेकिन वहां उन्हें 3.31 प्रतिशत वोट से ही संतोष करना पड़ा था।

    कब मिलता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा

    राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए तीन शर्तें हैं। पहली लोकसभा चुनाव में तीन राज्यों में कम से कम दो प्रतिशत सीटों पर जीत होनी चाहिए। इस हिसाब से 11 सांसद से कम नहीं होने चाहिए। दूसरी चार या इससे अथिक राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी की मान्यता होनी चाहिए। तीसरी, चार सांसदों के साथ-साथ चार राज्यों के विधानसभा या संसदीय चुनाव में कम से कम छह प्रतिशत वोट मिलने चाहिए। अभी आठ दलों भाजपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, बसपा एवं नेशनल पीपुल्स पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है।

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