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    निशिकांत दुबे पर होगा एक्शन? सुप्रीम कोर्ट पहुंचा विवादित बयान का मामला, अवमानना की कार्रवाई की मांग

    Updated: Sun, 20 Apr 2025 09:00 PM (IST)

    भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में सीजेआई संजीव खन्ना और सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उनके बयान के खिलाफ कोर्ट में दो अर्जियां लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पूर्व आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने दाखिल की है। जबकि दूसरी अर्जी सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवर की है।

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    भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग।(फोटो सोर्स: फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की परेशानियां बढ़ सकती हैं। उनकी टिप्पणी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दो अर्जियां हुई हैं जिनमें निशिकांत दुबे के खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है।

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    सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पूर्व आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने दाखिल की है जिसमें उन्होंने कोर्ट से दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की है। ठाकुर ने रविवार को ईफाइलिंग के जरिए यह अवमानना याचिका दाखिल की। जबकि दूसरी अर्जी सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवर की है।

    तनवर ने अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की इजाजत मांगी है। मालूम हो कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं।

    भाजपा ने निशिकांत दुबे के बयान से किया किनारा

    दुबे की टिप्पणियों की चारों ओर तीखी प्रतिक्रिया और आलोचना हो रही है। यही नहीं भाजपा ने भी स्वयं को निशिकांत दुबे के बयान से अलग कर लिया है। लेकिन इस बीच उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है।

    अमिताभ ठाकुर ने रविवार को याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी के लिए निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने और उन्हें दंडित करने की मांग की है। ठाकुर ने कोर्ट से मामले पर स्वत: कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

    याचिका की प्रति AG और SG को भी भेजा गया

    उन्होंने याचिका में कहा है कि वैसे तो किसी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए मामले को पहले अटार्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल के समक्ष पेश करना होता है और वे मामला सुप्रीम कोर्ट भेजते हैं लेकिन इस मामले की गंभीरता ने उन्हें तत्काल सीधे कोर्ट में यह मामला पेश करने के लिए मजबूर किया।

    हालांकि, ठाकुर ने याचिका में यह भी कहा है कि वे साथ ही साथ इस याचिका की प्रति अटार्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को भी भेज रहे हैं ताकि वे भी अपनी ओर से याचिका को कोर्ट को भेज सकें और मामले की सुनवाई में कोर्ट की मदद कर सकें। ठाकुर ने याचिका में कहा है कि दुबे का बयान अदालत की खुली अवमानना है और यह मामला ऐसा है जिसमें न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई शुरू होनी चाहिए।

    'निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना शुरू हो'

    दूसरी ओर वकील अनस तनवर ने अटार्नी जनरल को पत्र भेज कर निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना शुरू करने की इजाजत मांगी है। पत्र में न्यायालय की अवमानना कानून की धारा 15(1)(बी) के तहत अवमानना कार्रवाई शुरू करने की इजाजत मांगी गई है। कहा गया है कि निशिकांत दुबे का बयान कोर्ट की गरिमा को कम करने वाला और उसका अपमान करने वाला है।

    मालूम हो कि किसी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की याचिका दाखिल करने से पहले नियमानुसार अटार्नी जनरल या सालिसिटर जनरल की इजाजत लेनी होती है।

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष वरीष्ठ वकील आदिश सी अग्रवाला ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर निशिकांत दूबे के सीजेआई के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना बयान पर चिंता जताई है और आग्रह किया है कि अपनी पार्टी के लोगों को ऐसी बयानबाजी से रोकें जो न्यायपालिका के विश्वास को आघात पहुंचाता है।

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