Assembly Elections 2023: त्रिपुरा-नगालैंड में एनडीए की सरकार, मेघालय में जोड़तोड़ की संभावना
पूर्वोत्तर के परिणाम से इसी वर्ष होने वाले पांच राज्यों कर्नाटक मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना विधानसभा के आम चुनावों में भाजपा का हौसला बढ़ सकता है। इसी हार-जीत के आधार पर सभी राजनीतिक दल मिशन-2024 की रणनीति पर भी काम कर सकते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: पूर्वोत्तर की भूमि ने भाजपा को फिर संबल दिया है, जबकि कांग्रेस एवं वामदलों की संभावनाएं धीरे-धीरे पार्श्व में जाती नजर आ रही हैं। आम चुनाव वाले तीन में से दो राज्यों त्रिपुरा एवं नगालैंड में भाजपा गठबंधन को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत मिल गया है। त्रिपुरा में भाजपा ने 32 सीटों के साथ वापसी की है और नगालैंड में 12 सीटें लाकर अपनी स्थिति बरकरार रखी है। मेघालय में कोई भी दल सरकार बनाने की न्यूनतम संख्या तक नहीं पहुंच पाया है। त्रिशंकु विधानसभा में एनपीपी को 26 सीटें मिली हैं।
नतीजों से बढ़ सकता है भाजपा का हौसला
पूर्वोत्तर के परिणाम से इसी वर्ष होने वाले पांच राज्यों कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना विधानसभा के आम चुनावों में भाजपा का हौसला बढ़ सकता है। इसी हार-जीत के आधार पर सभी राजनीतिक दल मिशन-2024 की रणनीति पर भी काम कर सकते हैं। नगालैंड में मुख्यमंत्री नेफियू रियो की नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी ने अपने सहयोगी भाजपा के साथ एक बार फिर चुनावी जीत के साथ अपनी सत्ता बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की है।
चुनावी मैदान में थे कुल 611 प्रत्याशी
पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों में कुल 611 प्रत्याशी थे। तीनों विधानसभाओं में 60-60 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को कम से कम 31 की संख्या चाहिए। भाजपा ने पिछली बार त्रिपुरा में 35 और सहयोगी दल (इंडियन पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा) आईपीएफटी ने आठ सीटें जीतकर साथ में सरकार बनाई थी। इस बार भाजपा ने अपने दम पर 32 सीटें जीतकर सरकार बनाने का दावा पुख्ता कर लिया है। उसके सहयोगी आईपीएफटी को सिर्फ एक सीट ही मिल सकी है। वामदलों के लिए परिणाम निराशाजनक रहा। पिछली बार उसे 16 सीटें मिली थीं। इस बार सिर्फ 11 सीटों से संतोष करना पड़ा है।
कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटों पर जीत
वामदलों से दोस्ती कर लड़ रही कांग्रेस के लिए सुकून की बात सिर्फ इतनी है कि उसे तीन सीटों पर जीत मिली है, जबकि पिछली बार खाता भी नहीं खुला था। त्रिपुरा में प्रद्योत देबबर्मा के नेतृत्व में नई शक्ति के रूप में उभरे टिपरा मोथा से भाजपा को बड़ी क्षति उठानी पड़ी है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रभावी टिपरा मोथा ने पहली बार लड़ते हुए 13 सीटों पर जीत प्राप्त की है।
नगालैंड में भी एनडीए की जीत
नगालैंड का परिणाम स्पष्ट होते हुए भी ज्यादा विविधता वाला है। यहां भाजपा को 2018 की तरह ही 12 सीटें मिली हैं, जबकि उसके सहयोगी नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) को 25 सीटों पर जीत हुई है। पिछली बार उसे 18 सीटों पर जीत हुई थी। इस बार भी दोनों मिलकर लड़े। भाजपा ने 20 और एनडीपीपी ने 40 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और पिछली बार की तुलना में सात सीटें ज्यादा जीती हैं।
नगालैंड में कांग्रेस पूरी तरह साफ
नगालैंड में कांग्रेस पूरी तरह साफ है। शरद पवार की पार्टी राकांपा तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सात सीटें लाई है। बिहार में सक्रिय नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को एक और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को दो सीटों पर जीत मिली है। चार सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी को भी जीत नसीब हुई है।
मेघालय में जोड़तोड़ की स्थिति
मेघालय में सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ की स्थिति है। कांग्रेस को निराशा हाथ लगी है। पिछली बार उसे 21 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार पांच के आंकड़े तक ही पहुंच पाई। उसने राज्य की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। फिर भी पिछली बार की तरह ही उसे दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा। मेघालय में कांग्रेस ने तो पुरानी स्थिति को प्राप्त करने के लिए अपने सांसद विनसेंट पाला को भी मैदान में उतारा था। किंतु वह भी नाकाम रहे।
मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा के आसार
परिणाम बता रहा कि यहां गठबंधन की ही सरकार बननी है। कोनार्ड संगमा की एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसे 26 सीटों पर जीत मिली है। पिछली बार से सात सीटें ज्यादा। सरकार बनाने के लिए इसे किसी न किसी दल का सहयोग चाहिए। कोनार्ड ने पिछली बार कांग्रेस को रोकने के लिए अन्य दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी। बाद में कांग्रेस के सारे विधायक इधर-उधर चले गए थे। इस बार भी कोनराड की नजर कांग्रेस पर हो सकती है।