एनडी तिवारीः शादी के बाद देखी अवध की शाम, एक नहीं, अनेक हैं उनकी कहानियां
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीएम रह चुके एनडी तिवारी की बेशुमार कहानियां हैं।
आनन्द राय। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीएम रह चुके एनडी तिवारी की बेशुमार कहानियां हैं। उत्तराखंड की हुकूमत संभालने के बाद वह 2012 में करीब साढ़े छह वर्ष बाद उत्तर प्रदेश लौटे थे। उत्तराखंड बंटवारे के बाद वह जरूर वहां गये थे लेकिन, उनका मन यहीं बसता था। 30 नवंबर 2012 को वह उत्तर प्रदेश लौटे तो पुरानी यादों से लैस होकर आए थे।
मीडिया से मुखातिब होते ही बोल पड़े थे ‘लखनऊ हम पर फिदा हो न हो, हम फिदा-ए-लखनऊ।’ यह उनके अंतर्मन की आवाज थी। एक माल एवेन्यू के ‘आरोही’ (उनके बंगले का नाम, जो अब वह खाली कर चके हैं) में फिर उनकी नई जिंदगी शुरू हुई।
तिवारी थे तो कांग्रेस में लेकिन, उनकी नजदीकियां सभी दलों से थी। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उनका विशेष ख्याल रखा। तिवारी के आने के अगले ही दिन वह अपने पुत्र और तबके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ आरोही पहुंच गए थे। उप्र के सभी छोटे बडे़ नेता तिवारी से मिलने पहुंचे थे। लगातार कई दिनों तक उन्हें मीडिया घेरे रहा। उनका आना तो एक शादी समारोह के सिलसिले में था लेकिन, फिर वह आरोही में रुक गये।
उनसे लोगों ने बहुत से सवाल पूछे और बहुत कयास भी लगे थे। किसी ने उनकी नई सियासी पारी के बारे में जानना चाहा तो किसी ने उनके चुनाव लड़ने पर सवाल पूछे थे। कोई कहा सपा में जाएंगे तो किसी ने कहा, कांग्रेस उन्हें उपेक्षित की है और अब कांग्रेस को सबक सिखाएंगे। ऐसे ही कुछ सवालों पर उन्होंने बिल्कुल शायराना जवाब दिया ‘वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां, हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है।’ और सचमुच कोई जानता नहीं था कि उनके दिल में क्या है।
89 वर्ष की उम्र में दूसरा विवाह
आरोही में रहते हुए एनडी तिवारी को कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। उम्र बढ़ने के साथ कमजोरी बढ़ी तो वह रिश्तेदारों के सहारे हो गए। कुछ रिश्तेदार ही उनके कार्यक्रम तय करते । अचानक एक दिन, उज्ज्वला शर्मा आरोही पहुंच गई। उन्होंने हंगामा किया। उस समय अदालत ने एनडी तिवारी को उज्ज्वला के पुत्र रोहित शर्मा का जैविक पिता घोषित कर दिया था।
वर्ष 2008 से एनडी तिवारी को अपने पुत्र रोहित शेखर का पिता करार देने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही उज्ज्वला को जब अदालत से यह हक हासिल हुआ तो उन्हें अंधेरे में चमकती हुई रोशनी नजर आयी। उन्हें रोहित को पिता दिलाने के साथ ही एनडी को अपना पति भी साबित करना था। उज्ज्वला की यह सामाजिक जरूरत भी थी और चुभती निगाहों का सामना करने के लिए जरूरी भी।
दरअसल, दिल्ली में लंबे समय बाद उज्ज्वला एनडी के सामने आई तो पुराने रिश्ते ताजा हो गए थे। फिर आठ मार्च 2014 को वह आरोही में एनडी के साथ रहने आ गयीं और 16 अप्रैल तक यहां रहीं। लेकिन 17 अप्रैल की रात्रि उनका सामान बाहर फेंक कर भगा दिया गया तो फिर उज्ज्वला ने एक शाम हजरतगंज में तिवारी से मिलने की कोशिश की।
उज्ज्वला तब यही कहती थीं कि तिवारी जी तो 1993 में सुशीला जी के निधन के बाद ही शादी के लिए तैयार थे, लेकिन एक काकस ने उन्हें रोक दिया। उज्ज्वला ने काकस के एकाधिकार को चुनौती दी और कुछ समर्थकों के साथ आरोही में जबरन दाखिल हो गयीं। इसके बाद एनडी और उज्ज्वला की मोहब्बत की उड़ान को नए पंख लग गए। 15 मई 2014 को 89 वर्ष की उम्र में एनडी तिवारी ने 70 की उज्ज्वला से विवाह किया था। यह उज्ज्वला की जीत नहीं थी बल्कि एनडी तिवारी का स्वीकार्य भाव था।
शादी के बाद एनडी एक शाम उज्ज्चला के साथ लखनऊ घूमने निकले। एनडी ने उज्ज्वला को हजरतगंज से लेकर गोमतीनगर तक अपनी नजर से लखनऊ दिखाया। वह उनकी जिंदगानी की यादगार शाम थी।
वादा किया और निभाया
जिगर मुरादाबादी का एक शेर है- ये इश्क नहीं है आसां, इक आग का दरिया है और डूब के जाना एनडी और उज्ज्वला के बीच इश्क में कुछ ऐसा ही हुआ। पर एनडी ने जो वादा किया, उम्र के आखिरी पड़ाव पर आकर उसे निभाया। जिस दिन उनका उज्ज्वला से विवाह हुआ, वह दिन उनके लिए सुकून भरा था।
जब 26 वर्ष की उज्ज्वला से एनडी की मुहब्बत शुरू हुई तब वह 45 के थे। शादीशुदा उज्ज्वला से 1973 तक एनडी के सम्बंध मधुर होते गए और अपने पति से अलग रह रहीं उज्ज्वला ने 1979 में रोहित शेखर को जन्म दिया। पीएचडी उज्ज्वला शर्मा दौलत राम कालेज दिल्ली में प्रवक्ता भी रहीं और इसके पहले उन्होंने हरिद्वार के कन्या गुरुकुल से लेकर काशी तक अपनी शिक्षा पूरी की।